लखनऊ: निजी अस्पतालों की शिकायतों पर साल भर बाद भी कार्रवाई नहीं, 300 से ज्यादा शिकायतें लंबित
अमृत विचार संवाददाता, लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों को बेहतर इलाज मिले इसलिए तीमारदारों ने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बावजूद कई मरीजों की मौत हो गई। पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी तीमारदार मरीज को जिंदा घर नहीं ले जा सके। उन्हें लगा डॉक्टरों ने इलाज में …
अमृत विचार संवाददाता, लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों को बेहतर इलाज मिले इसलिए तीमारदारों ने उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बावजूद कई मरीजों की मौत हो गई। पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी तीमारदार मरीज को जिंदा घर नहीं ले जा सके। उन्हें लगा डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही हुई है तो उन्होंने मामले की शिकायत सीएमओ से की। इस आस में की कि उन्हें इंसाफ मिलेगा। मगर आज एक साल बाद भी अबतक स्वास्थ्य विभाग इन मामलों की जांच पूरी नहीं कर पाया।
कोरोना में संक्रमित मरीजों के इलाज के एवज में निजी अस्पतालों ने तीमारदारों से जमकर पैसे लिए। मरीज को अच्छा इलाज मिले इसके लिए तीमारादारों ने पैसा खर्च करने में किसी प्रकार की कसर भी नहीं छोड़ी। लेकिन, तीमारदारों द्वारा खर्च किया हुआ पैसा मरीजों की जान नहीं बचा सका और उनकी मौत हो गइ। तीमारदारों को इलाज में लापरवाही का शक हुआ तो उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में मामले की सूचना देते हुए शिकायत दर्ज कराई।
एक साल से चल रही जांच
जानकारी के अनुसार राजधानी के विभिन्न निजी अस्पतालों पर करीब 1000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई थीं। इनमें ज्यादा तर शिकायतों का निस्तारण किया गया। जिसमें कुछ ऐसे थे जिनमें तीमारदार खुद बयान देने नहीं आए। तो कुछ ऐसे थे जिनमें तीमारादारों और अस्पताल संचालकों ने आपसी तालमेल कर समझौता कर लिया। जिसके बाद अब इनमें कुल 300 फाइलें एसी हैं जिसका निस्तारण होना बाकी है। इन शिकायतों को सीएमओ दफ्तर पहुंचे हुए एक साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है।
बनाई गई एक टीम
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.मनोज अग्रवाल ने बताया कि कोरोना में तीमारदारों द्वारा की गई शिकायतों के निस्तारण के लिए कमेटी बनाई गई है। सभी शिकायतें जल्द निस्तारित हो जाएंगी।
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