कानपुर: यूरेनियम की लोकेशन नहीं तलाश पा रहे जलकल कर्मी, आईआईटी के विशेषज्ञ दे चुके हैं जानकारी

कानपुर, अमृत विचार। जलकल कर्मी यूरेनियम के लोकेशन की तलाश नहीं कर पा रहे हैं। सोमवार को टीम जाजमऊ और चकेरी क्षेत्र में गई, लेकिन उन्हें क्षेत्र की जानकारी नहीं मिल सकी। अब एक दो दिन में नए सिरे से पड़ताल की जा सकती है। आईआईटी के विशेषज्ञ सैंपलिंग वाले क्षेत्रों की लोकेशन दे चुके …
कानपुर, अमृत विचार। जलकल कर्मी यूरेनियम के लोकेशन की तलाश नहीं कर पा रहे हैं। सोमवार को टीम जाजमऊ और चकेरी क्षेत्र में गई, लेकिन उन्हें क्षेत्र की जानकारी नहीं मिल सकी। अब एक दो दिन में नए सिरे से पड़ताल की जा सकती है। आईआईटी के विशेषज्ञ सैंपलिंग वाले क्षेत्रों की लोकेशन दे चुके हैं।
आईआईटी के अर्थ साइंस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. इंद्रशेखर सेन और शोधार्थी डॉ. सरवर निजाम ने कानपुर और कानपुर देहात के 192 क्षेत्रों से भूगमित जल के नमूने लिए थे, जिनकी जांच कराने पर उनमें यूरेनियम की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से काफी ज्यादा निकली थी। यह स्थित सेहत और पेट को नुकसान पहुंचा सकती है। मानक 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर है। कानपुर के जाजमऊ, चकेरी, गांधीग्राम, काकादेव, नवीन नगर, कोपरगंज समेत अन्य मोहल्ले शामिल हैं, जबकि कानपुर देहात के मैथा, खानचंदपुर, विषधन आदि क्षेत्रों में यूरेनियम की मात्रा काफी पाई गई।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से क्षेत्रीय अधिकारी कानपुर और कानपुर देहात को मामले की पड़ताल करने के लिए कहा गया। दूसरी ओर जिलाधिकारी कानपुर विशाख जी अय्यर ने सात विभागों की कमेटी बनाकर जांच के लिए निर्देशित किया। नोडल अधिकारी भूगर्भ जल के एक्सईएन अवधेश कुमार को बनाया गया है। उनके निर्देशन में सैंपलिंग की जिम्मेदारी जल कल विभाग को मिली है। विभाग के सचिव केपी आनंद ने बताया कि टीम यूरेनियम वाले हैंडपंपों की जांच करने गई थी, लेकिन वह निधार्रित लोकेशन पर मिले नहीं है। अब नए सिरे से जांच की जाएगी। भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों से भी बातचीत चल रही है। अगर क्षेत्र मे यूरेनियम की स्थिति है तो उसका असर भूजल में काफी दूर तक होना चाहिए।
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