वाराणसी में बोले पीएम मोदी- ‘शॉर्टकट से कुछ नेताओं का भला हो सकता है लेकिन देश का नहीं’

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल उद्देश्यों का जिक्र करते हुए कहा है कि इस नीति का पहला मूलमंत्र युवाओं को संकुचित सोच से निकालकर, उन्हें तकनीकी और उन्नत सोच की ओर ले जाना है, जिससे सिर्फ डिग्री धारक युवाओं की फौज खड़ी करने से देश को बचाया जा सके। इसके …
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल उद्देश्यों का जिक्र करते हुए कहा है कि इस नीति का पहला मूलमंत्र युवाओं को संकुचित सोच से निकालकर, उन्हें तकनीकी और उन्नत सोच की ओर ले जाना है, जिससे सिर्फ डिग्री धारक युवाओं की फौज खड़ी करने से देश को बचाया जा सके। इसके साथ ही पीएम मोदी कहा कि काशी के नागरिकों ने पूरे देश को संदेश दे दिया है कि शॉर्टकट से देश का भला नहीं हो सकता, हां कुछ नेताओं का भला हो सकता है। बनारस में जिधर नजर डालो उधर सुधार की गुजाइंश नजर आती थी। साफ दिखता था कि बनारस में दशकों से काम ही नहीं हुआ है।
मोदी ने गुरुवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अखिल भारतीय शिक्षा समागम को संबोधित करते हुए कहा कि आज़ादी के पहले शिक्षा का मकसद शिक्षित लोग नहीं बल्कि सेवक वर्ग तैयार करना था। वो अंग्रेजों की शिक्षा पद्धति थी, लेकिन अब ऐसी शिक्षा पद्धति की जरूरत है जो केवल युवाओं को डिग्रीधारक न बनाये बल्कि उनमें नेतृत्व की क्षमता भी पैदा करे।
उन्होंने कहा, “हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें, बल्कि देश को आगे बढ़ने के लिए जितने भी मानव संसाधनों की जरूरत हो, वो सब हमारी शिक्षा व्यवस्था देश को दे। इस संकल्प का नेतृत्व हमारे शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को करना है।” पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल आधार, शिक्षा को संकुचित सोच के दायरों से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है।
पीएम मोदी ने नयी शिक्षा नीति के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब मातृभाषा में पढ़ाई के रास्ते खोल रही है। इसी क्रम में, संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषाओं को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए देश के शिक्षा क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर ढांचागत सुविधाओं को दुरुस्त करने पर भी काम हुआ है। इसी का नतीजा है कि आज देश में बड़ी संख्या में नये कॉलेज, विश्वविद्यालय, आईआईटी और आईआईएम की स्थापना हो रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “नई शिक्षा नीति में पूरा फोकस बच्चों की प्रतिभा और उनकी रुचि के हिसाब से उन्हें स्किल्ड बनाने पर है। हमारे युवा स्किल्ड हों, आत्मविश्वास से भरे हों, व्यवहारिक और परिस्थितियों का आंकलन करने वाले हों, शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है।” वाराणसी में हो रहे शिक्षा समागम के महत्व का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ये शिक्षा समागम उस पवित्र धरती पर हो रहा है, जिस धरती पर आज़ादी से पहले एक शिक्षा का केंद्र स्थापित हुआ था। देश में आज़ादी का अमृत काल चल रहा है, विद्या ही अमरत्व का मार्ग है, काशी को मोक्ष का स्थान माना गया है और विद्या का बोध केंद्र यहीं स्थापित हुआ।”
उन्होंने कहा कि बनारस शिक्षा और ज्ञान का केंद्र था, क्योंकि यहां की शिक्षा और ज्ञान बहुआयामी थी। पीएम मोदी ने कहा कि नये भारत के निर्माण के लिए आधुनिक व्यवस्थाओं का समावेश होना जरूरी है। देश को आगे बढ़ने के लिए जितने भी मानव संसाधनों की जरूरत हो, वे सभी शिक्षा व्यवस्था को देश के लिये मिलने का संकल्प लेना चाहिये। इस संकल्प का नेतृत्व शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों को करना है।
प्रधानमंत्री ने तकनीक के क्षेत्र में आ रहे बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहां पहले केवल सरकार ही सब काम करती थी, वहां अब निजी क्षेत्र की भागीदारी से युवाओं के लिए नई दुनिया बन रही है। देश की बेटियों के लिए, महिलाओं के लिए भी जो क्षेत्र पहले बंद हुआ करते थे, आज वे क्षेत्र बेटियों की प्रतिभा के उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कोरोना की इतनी बड़ी महामारी से हम न केवल इतनी तेजी से उबरे, बल्कि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक हैं। आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं।”
यह भी पढ़ें:-वाराणसी : पीएम मोदी ने काशी को दी 1700 करोड़ की सौगात, सीएम योगी ने किया स्वागत