रुद्रपुर: जीएसटी रिफंड की तय की जाए समयावधि

रुद्रपुर, अमृत विचार। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से वर्चुअल सेमिनार में जीएसटी आयुक्त के समक्ष रिफंड के सरलीकरण का मुद्दा उठाया गया। साथ ही आयकर की तरह रिफंड धनराशि पर ब्याज देने की बात उठाई गई। सीजीएसटी आयुक्त ने इस मुद्दे को जीएसटी काउंसिल तक पहुंचाने का भरोसा दिया। सीआईआई के उत्तराखंड चैप्टर …
रुद्रपुर, अमृत विचार। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से वर्चुअल सेमिनार में जीएसटी आयुक्त के समक्ष रिफंड के सरलीकरण का मुद्दा उठाया गया। साथ ही आयकर की तरह रिफंड धनराशि पर ब्याज देने की बात उठाई गई। सीजीएसटी आयुक्त ने इस मुद्दे को जीएसटी काउंसिल तक पहुंचाने का भरोसा दिया।
सीआईआई के उत्तराखंड चैप्टर द्वारा ‘जीएसटी सुधार के पांच साल के अवसर’ विषय पर वर्चुअल सेमिनार में आयोजित सत्र में स्टेट काउंसिल मेंबर दीपक कुमार गोयल ने फार्मा व एमएसएमई का मुद्दा उठाया। गोयल ने कहा कि फार्मा उद्योग से जुड़े कच्चे माल पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना होता है। जबकि बिक्री पर 12 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है। जो हर महीने के अंत में उद्यमी को पोर्टल पर दिख रहा जमा करना होता है जबकि रिफंड मिलने की कोई तारीख तय नहीं है।
कम से कम पोर्टल पर ही रिफंड की धनराशि दिख जाये। उन्होंने रिफंड मिलने की निश्चित समयावधि तय करने की मांग करते हुये कहा कि यदि किन्हीं कारणों से तय समयावधि में रिफंड नहीं मिलता है तो उस स्थिति में आयकर की तरह उद्यमी को धनराशि पर ब्याज मिलना चाहिये। जिससे उद्यमी को राहत मिल सके। केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) आयुक्त दीपाकंर एरोन ने कहा कि यह मामला उनके स्तर का नहीं है, लेकिन आम उद्यमी से जुड़े मुद्दे को वह जीएसटी काउंसिल तक पहुंचाएंगे। इसके लिये उन्होंने सीआईआई को एक मांगपत्र बनाकर भेजने को कहा।
सत्र को संबोधित करते हुये सीजीएसटी आयुक्त एरोन ने कहा कि जीएसटी सबसे बड़ा कर सुधार नहीं है, बल्कि भारत में उद्योगों के विभिन्न क्षेत्रों के लिए राष्ट्र खोलने के अवसरों के लिए एक आर्थिक सुधार है। एरोन ने कहा कि टैक्स से जीडीपी अनुपात को 16 से 20% तक बढ़ाने की आवश्यकता है और इससे देश को 2025 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
सीआईआई की उत्तराखंड स्टेट काउंसिल चेयरपर्सन सोनिया गर्ग ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि देश का कराधान वातावरण उद्योग के लिए अनुकूल होना चाहिए ताकि वे दक्षता हासिल कर सकें जो उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में सक्षम बनाए।
सीआईआई के उत्तराखंड चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष हेमंत कुमार अरोड़ा ने कहा कि जीएसटी और इसके कार्यान्वयन में सरकार की तेजी और व्यापार के अनुकूल दृष्टिकोण अत्यधिक सराहनीय रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि जीएसटी रिटर्न दाखिल करने को और अधिक सरल बनाया जाना चाहिए। उपाध्यक्ष हर्षित गुप्ता ने कहा दुनिया के सबसे अमीर और सबसे गरीब लोगों के साथ एक जटिल देश होने के नाते जीएसटी से समाज के साथ उदार होने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में खपत कम होने के कारण राज्य को बहुत अधिक राजस्व का नुकसान होता है।
राज्य में स्थापित हो जीएसटी न्यायाधिकरण
रुद्रपुर। आईटीसी हरिद्वार के वित्त प्रबंधक सुमित अग्रवाल ने जीएसटी को ‘अच्छा और सरल कर’ कहा। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में जीएसटी के कई लाभों पर भी प्रकाश डाला और राज्य में जीएसटी न्यायाधिकरण स्थापित करने का अनुरोध किया।
विभिन्न उद्योगों के प्रतिभागियों ने कई प्रश्न उठाए, जिनका अच्छी तरह से समाधान किया गया। इस सत्र में 40 से अधिक उद्यमियों ने भाग लिया।