बरेली: नागा साधुओं का भक्ति स्थल है अलखनाथ

अमृत विचार, बरेली। शहर में अलखनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भक्तों का कल्याण होता है। मंदिर का इतिहास सैंकड़ों वर्ष पुराना है। यहां दूर-दराज से लोग पूजा करने आते हैं। भोलेनाथ के साथ सूर्यदेव की भी यहां विशेष पूजा होती है। यहां उनकी …
अमृत विचार, बरेली। शहर में अलखनाथ मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से भक्तों का कल्याण होता है। मंदिर का इतिहास सैंकड़ों वर्ष पुराना है। यहां दूर-दराज से लोग पूजा करने आते हैं। भोलेनाथ के साथ सूर्यदेव की भी यहां विशेष पूजा होती है। यहां उनकी मूर्ति स्थापित है। परिसर में सैंकड़ों वर्ष पुराना वट वृक्ष है। यह मंदिर नागा साधुओं की भक्ति स्थली के रूप में भी जाना जाता है।
मंदिर के बाहर लगे पत्थर पर इसका इतिहास लिखा है, जिसके अनुसार मंदिर 6500 वर्षों से भी पुरातन माना गया है। एक समय ऐसा भी आया कि कुछ शासकों ने मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया। ऐसे में आनंद अखाड़ा से नागा साधु बाबा अलखिया को यहां भेजा गया, ताकि वैदिक धर्म की रक्षा हो सके। बाबा अलखिया द्वारा कठोर तपस्या के पश्चात शिवलिंग की स्थापना की गई। बाबा अलखिया के नाम से ही इस मंदिर का नाम अलखनाथ मंदिर रखा गया। मंदिर की सेवा की जिम्मेदारी आनंद अखाड़ा ने संभाल रखी है। श्रावण मास के महीने में भक्तों की लंबी लाइन लग जाती है।
हनुमानजी की 51 फीट ऊंची मूर्ति है आकर्षण का केंद्र
मन्दिर के मुख्यद्वार के ठीक बराबर में हनुमानजी की 51 फीट ऊंची मूर्ति लगी है, जो श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र है। यहां शनिदेव का मंदिर भी है। जहां भक्तों का हर समय तांता लगा रहता है। पंचमुखी हनुमान मंदिर, नवग्रह मंदिर भी स्थापित है। नागा साधुओं को यहां भक्ति में डूबे देखा जा सकता है। यहां साधुओं का आवागमन भी देशभर से हुआ करता है।
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