लखीमपुर जेल से नहीं रिहा हो पाएंगे कई कैदी, जेल प्रशासन ने भेजी शून्य रिपोर्ट

लखीमपुर-खीरी,अमृतविचार। शीर्ष अदालत ने ऐसे कैदियों की रिहाई करने पर विचार करने के निर्देश यूपी सरकार को दिए हैं, जिनकी आयु 60 साल या इससे अधिक हो और वह 14 साल की सजा काट चुके हों। शीर्ष अदालत के आदेश पर शासन ने जेलों से इसकी सूचना भी मांगी है, लेकिन लखीमपुर-खीरी जेल में कोई …
लखीमपुर-खीरी,अमृतविचार। शीर्ष अदालत ने ऐसे कैदियों की रिहाई करने पर विचार करने के निर्देश यूपी सरकार को दिए हैं, जिनकी आयु 60 साल या इससे अधिक हो और वह 14 साल की सजा काट चुके हों। शीर्ष अदालत के आदेश पर शासन ने जेलों से इसकी सूचना भी मांगी है, लेकिन लखीमपुर-खीरी जेल में कोई ऐसा कैदी नहीं है जो 60 साल की आयु या उससे अधिक का हो और वह 14 साल तक सजा काट चुका हो।
इस पर जेल प्रशासन ने शून्य रिपोर्ट शासन को भेजी है। इससे साफ हो गया है कि अपने जिले से कोई भी कैदी इस योजना का लाभ नहीं पा सकेगा। कैदियों के बोझ से लखीमपुर खीरी की जेल भी हांफ रही है। जेल में 725 बंदियों के रखने की क्षमता है, लेकिन यहां अमूमन 17 सौ के आसपास बंदी रहते हैं। कभी-कभी जब पुलिस वांछितों की गिरफ्तारी आदि को लेकर अभियान चलाती है तो इनकी संख्या दो हजार तक भी पहुंच जाती है।
यहां 17 बैरकें हैं। क्षमता से ढाई गुना अधिक बंदियों और कैदियों के खाने का बजट तो जेल के पास है, लेकिन रखने के लिए पर्यप्त जगह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जेलों पर बढ़ते बोझ को लेकर उनकी रिहाई पर विचार करने के निर्देश दिए थे। शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकार कमेटी बनाकर 14 वर्ष की सजा पूरी कर चुके 60 से ज्यादा उम्र के कैदियों की रिहाई पर विचार करे।
सरकार ने विशेष दिवसों 26 जनवरी, 15 अगस्त, मजदूर दिवस महिला दिवस आदि पर ऐसे बंदियों को छोड़े जाने के लिए कार्रवाई भी शुरू की है। आठ मार्च को महिला दिवस है। ऐसे में शासन ने कारागार विभाग के माध्यम से जेलों में बंद ऐसे कैदियों की सूची सिहत कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी थी, लेकिन अपने लखीमपुर खीरी जेल में में बंद कैदियों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा।
इसकी वजह यह है कि जेल में ऐसा कोई कैदी नहीं है जो 60 साल की आयु से अधिक हो और वह 14 साल की सजा काट चुका हो। जेल प्रशासन ने शासन को ऐसे कैदियों की संख्या शून्य होने की रिपोर्ट कारागार विभाग के माध्यम से शासन को भेजी है। इससे जिला कारागार में बंद कैदियों की जहां रिहाई की उम्मीद समाप्त हो गई है। वहीं कैदियों के बोझ तले दबकर हांफ रही जिला जेल को इससे उबरने की उम्मीद भी कम हो गई है।
महिला दिवस पर कैदियों को छोड़ा जाना था, लेकिन जिला कारागार में ऐसा कोई कैदी नहीं है, जो 60 साल की उम्र से अधिक हो और वह 14 साल की सजा काट चुका हो। जेल प्रशासन ने ऐसे कैदियों की संख्या शून्य होने की रिपोर्ट भेजी है।
—पंकज कुमार सिंह, जेलर