लड़की जीना चाहती है

प्रकृति की है यही पुकार, लड़कियां हो बराबर की हकदार। भेदभाव की दीवार को हटा दो तुम , खुद को नेक इंसान बनालो तुम। बेटी है ईश्वर का तोहफा अनमोल, मत इसको दुतकारो तुम। बेटा पाने की चाहत में , मां को ही मत मारो तुम। बेटे को खुशियां देकर, बेटी से खुशियां न छीनो …
प्रकृति की है यही पुकार,
लड़कियां हो बराबर की हकदार।
भेदभाव की दीवार को हटा दो तुम ,
खुद को नेक इंसान बनालो तुम।
बेटी है ईश्वर का तोहफा अनमोल,
मत इसको दुतकारो तुम।
बेटा पाने की चाहत में ,
मां को ही मत मारो तुम।
बेटे को खुशियां देकर,
बेटी से खुशियां न छीनो तुम।
सजाती हैं घर को रौनक से,
यह बात कभी मत भूलो तुम।
बेटे को पढ़ा-लिखाकर बड़ा बनाया जाता है,
बेटी को क्यों चार-दीवारी में कैद किया जाता है ?
जरा देखो इंसान की हैवानियत, दुनिया में कोरोना लाई है।
जाने कितनी लड़कियों की हत्या से, आज ये धरती डगमगाई है।
क्यों लड़की के जीवन को नर्क बनाया जाता है ?
शायद इंसान अपनी औकात को भूल जाता है।
मेहमान है तू इस धरती का, क्यों इतने जुल्म ढहाता है ?
कर्मों का फल एक दिन सबके आगे आता है।
यदि लड़की की आजादी में तू यूं ही आग लगाएगा,
तो अपने लड़के के लिए बहू कहां से लाएगा ?
अक्ल का अंधा इंसान, क्यों ये भूल जाता है ?
धर्म का रखवाला भी, स्त्री की कोख से आता है।
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