एनसीपीसीआर ने कहा ‘गैरकानूनी’ फतवों को लेकर दारुल उलूम देवबंद पोर्टल की जांच करे उप्र सरकार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कथित रूप से ”गैरकानूनी और भ्रमित करने वाले” फतवों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट की जांच करने के लिये कहा है । बच्चों के अधिकारों से संबधित शीर्ष निकाय ने शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव से यह भी कहा कि …
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कथित रूप से ”गैरकानूनी और भ्रमित करने वाले” फतवों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से दारुल उलूम देवबंद की वेबसाइट की जांच करने के लिये कहा है । बच्चों के अधिकारों से संबधित शीर्ष निकाय ने शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव से यह भी कहा कि जब तक इस तरह की सामग्री हटा नहीं ली जाती है तबतक इसकी पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया जाये ।
आयोग ने कहा कि एक शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की गयी है जिसमें आरोप लगाया गया है कि वेबसाइट पर फतवों की सूची है जो देश के कानून के अनुसार प्रदान किये गये प्रावधानों के खिलाफ हैं । मुख्य सचिव को लिखे पत्र में आयोग ने कहा है कि, शिकायत पर बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम की धारा 13 (1) (जे) के तहत संज्ञान लेते हुये, शिकायत और वेबसाइट की जांच करने के बाद, यह पता चला है कि लोगों द्वारा उठाए गए मसलों के जवाब में दिए गए स्पष्टीकरण और उत्तर, देश के कानूनों और अधिनियमों के अनुरूप नहीं हैं ।
इसमें कहा गया है कि इस तरह के बयान बच्चों के अधिकारों के विपरीत हैं और वेबसाइट तक खुली पहुंच उनके लिए हानिकारक है । पत्र में कहा गया है कि, इसलिए, अनुरोध है कि इस संगठन की वेबसाइट की पूरी तरह से जांच की जाए, ऐसी किसी भी सामग्री को तुरंत हटा दिया जाए। इसमें कहा गया है कि, जब तक गैरकानूनी बयानों के प्रसार और पुनरावृत्ति से बचने तथा हिंसा, दुर्व्यवहार, उपेक्षा, उत्पीड़न, बच्चों के खिलाफ भेदभाव की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसी सामग्री को हटाया नहीं जाता है तब तक वेबसाइट तक पहुंच को रोका जा सकता है ।
आयोग ने राज्य सरकार से भारत के संविधान, भारतीय दंड संहिता, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए संस्थान के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिये भी कहा है । एनसीपीसीआर ने उत्तर प्रदेश सरकार को 10 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
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