संगम में तीन लाख श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

संगम में तीन लाख श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

प्रयागराज। तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के विस्तीर्ण रेती पर माघ मेले में मकर संक्रांति पर्व पर संगम में दोपहर दो बजे तक तीन लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाकर सूर्य देव से परिवार की मंगल कामना का वरदान मांगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार माघ मेला में मकर संक्रांति स्नान पर्व …

प्रयागराज। तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के विस्तीर्ण रेती पर माघ मेले में मकर संक्रांति पर्व पर संगम में दोपहर दो बजे तक तीन लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाकर सूर्य देव से परिवार की मंगल कामना का वरदान मांगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार माघ मेला में मकर संक्रांति स्नान पर्व पर दोपहर दो बजे तक तीन लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई है।

मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से होता है। मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी की रात 8:49 बजे भगवान भास्कर ने धनु से मकर राशि में प्रवेश करने के कारण इसका पुण्यकाल दो दिनों का माना गया। इससे मकर संक्रांति का पुण्यकाल शनिवार को भी मनाया जा रहा है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर रात में काफी श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई।

मकर संक्रांति के पुण्यकाल शनिवार को दोबारा स्नान करने के लिए दूर-दराज से आए अधिकतर श्रद्धालु मेला क्षेत्र में संतो एवं परिचित कल्पवासियों के शिविर में रात बितायी। पांच सेक्टर में बसे माघ मेले में स्नान के लिए बने घाटों पर ठिठुरती भोर में कोरोना संक्रमण के डर को पीछे छोड़कर त्रिवेणी की पवित्र धारा में स्नान करने का उत्सव ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो गया।

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शनिवार को मकर संक्रांति पर देश के कोने-कोने से आस्था की डुबकी लगाने को आतुर त्रिवेणी तट श्रद्धालुओं के संयम, समर्पण और संस्कार का साक्षी बना। भोर से ही संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के साथ बच्चे, युवा, बुजुर्ग एवं महिलाओं ने भगवान भास्कर को दोनों हाथो से जल अर्पित किया, गंगा मां को दूध चढ़ाने के साथ विधिविधान से पूजाकर परिवार के लिए आरोग्य होने का वरदान मांगा। इसके साथ ही श्रद्धालुओं का तट पर बैठे तीर्थ पुरोहितों को चावल,दाल, काला तिल, गुड़, कम्बल और अन्य सामान का दान का भी सिलसिला शुरू हो गया।

भगवान भास्कर बादलों के बीच दिन भर लुका छिपी का खेलते रहे। भोर पांच बजे से घाट पर शीतलहर और कोरोना का बिना परवाह किए छूआ-छूत, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, बीमार और स्वस्थ्य की खाई को गिराते एक साथ स्नान शुरू किया।

भगवान भास्कर के उदय होने के बाद घाट पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं भीड़ बढ़ती गयी। श्रद्धालुओं ने संगम क्षेत्र में लेटे हनुमान जी के दर्शन एवं पूजन किया। सुरसरि के सुरम्य गोद में अक्षय वट से लेकर त्रिवेणी, काली और गंगोली शिवाला मार्ग तक संतो, भक्तों और कल्पवासियों के शिविर तन गए हैं।

पुण्य की डुबकी के साथ संगम तट पर मास पर्यंत चलने वाले जप-तप और ध्यान के साथ मन, वचन और कर्म तीनों प्रकार से जाने अनजाने में हुए पापों से मुक्त होने के लिए संगम भी अपना आकार ले चुका है। मेला क्षेत्र में स्नान करने आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए चाक चौबंद व्यवस्था किया गया है।

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