बरेली: हल्की बारिश में वैज्ञानिक पद्धति से करें टमाटर व आलू की फसल का बचाव

बरेली, अमृत विचार। जनवरी की सर्द रातों में तापमान में ज्यादा कमी, वातावरण में नमी, कोहरा और पाला पड़ने की स्थितियों में आलू, टमाटर, बैंगन, सरसों, चना, मसूर आदि में कई तरह के रोग लगते हैं। झुलसा उनमें से एक है, जिसमें पत्तियां, तना से लेकर फल और कंद तक संक्रमित हो जाते हैं। ये …
बरेली, अमृत विचार। जनवरी की सर्द रातों में तापमान में ज्यादा कमी, वातावरण में नमी, कोहरा और पाला पड़ने की स्थितियों में आलू, टमाटर, बैंगन, सरसों, चना, मसूर आदि में कई तरह के रोग लगते हैं। झुलसा उनमें से एक है, जिसमें पत्तियां, तना से लेकर फल और कंद तक संक्रमित हो जाते हैं। ये एक विषाणु जनित रोग हैं, जो तेजी से फैलता है।
समय पर उपचार न हो तो पूरी फसल चौपट हो जाती है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों को इस रोग से फसलों को बचाने के लिए वैज्ञानिक पद्धति से बचाव के लिए जागरुक किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार बीते दो दिनों से हो रही हल्की बारिश आलू और सरसों की फसल के लिए नुकसानदायक है। वहीं गेहूं के लिए ये बारिश बेहद अच्छी मानी जाती है। कृषि वैज्ञानिक डा. रंजीत सिंह ने बताया कि किसानों को झुलसा से बचने के लिए एक लीटर पानी में 15 एमएल कॉपर ऑक्सिक्लोराइड मिलाकर घोलकर फसलों पर छिड़काव करने से फसलों पर बारिश का अधिक दुष्प्रभाव नहीं होगा।
प्याज की फसल पर नहीं होगा बारिश का असर
वैज्ञानिकों के अनुसार बारिश से प्याज की खेती की रोपाई चल रही है। बारिश से रोपाई प्रभावित होगी, लेकिन उससे कोई खतरा नहीं होगा। इस दौरान उन्होंने बताया कि प्याज की पौध एक सप्ताह बाद भी रोपने से उत्पादन से कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।