1 जनवरी से बदल जाएंगे ऑनलाइन पेमेंट के नियम, जानें अब कैसे होगा भुगतान

1 जनवरी से बदल जाएंगे ऑनलाइन पेमेंट के नियम, जानें अब कैसे होगा भुगतान

डिजिटल पेमेंट के मामले में दुनिया लगातार बदल रही है। अब दस रूपये के सामान से लेकर 50 हजार रूपये तक का सामान ऑनलॉइन पेमेंट के जरिए आसानी से किया जा सकता है। अब लोगों को इतना पैसा पास में न रखकर सिर्फ मोबाइल से क्लिक करके ही पेमेंट हो जाता है। बढ़ते डिजिटल पेमेंट …

डिजिटल पेमेंट के मामले में दुनिया लगातार बदल रही है। अब दस रूपये के सामान से लेकर 50 हजार रूपये तक का सामान ऑनलॉइन पेमेंट के जरिए आसानी से किया जा सकता है। अब लोगों को इतना पैसा पास में न रखकर सिर्फ मोबाइल से क्लिक करके ही पेमेंट हो जाता है। बढ़ते डिजिटल पेमेंट को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले वर्ष ऑनलाइन भुगतान नियमों में बदलाव की घोषणा की थी।

नए साल में पहली जनवरी से जब आप किसी को ऑनलाइन पेमेंट करते हैं, तो आपको प्रमाणीकरण के एक अतिरिक्त कारक के साथ उसे अपनी सहमति देनी होगी। एक बार हो जाने के बाद आप अपने कार्ड के सीवीवी और ओटीपी को दर्ज करके भुगतान पूरा करेंगे।

डिजिटल पेमेंट की दुनिया बढ़ रही है वैसे ही साइबर फ्रॉड की घटनाएं बढ़ रही हैं।  साइबर अपराधी  तकनीकों और ऐप का इस्तेमाल करके लोगों का लाखों का चुना लगा रहे हैं। टोकनाइजेशन वास्तविक कार्ड नंबर को एक वैकल्पिक कोड मुहैया करता है, जिसे “टोकन” कहा जाता है। टोकनाइजेशन की मदद से कार्डधारक को अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की पूरी डिटेल्स को शेयर नहीं करनी नहीं होती है।

टोकन सिस्टम वास्तविक कार्ड नंबर का एक वैकल्पिक कोड के जरिए रिप्लेसमेंट होता है। इस कोड को ही टोकन कहते हैं। टोकनाइजेशन हर कार्ड, टोकन रिक्वेस्टर और मर्चेंट के लिए यूनीक होगा। टोकन क्रिएट हो जाने पर टोकनाइज्ड कार्ड डिटेल्स को वास्तविक कार्ड नंबर की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि इस सिस्टम को ऑनलाइन पेमेंट के लिए ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।

सुरक्षित है ये सिस्टम
आरबीआई के अनुसार, टोकनवाले कार्ड लेनदेन को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसके माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट के दौरान वास्तविक कार्ड विवरण व्यापारी के साथ साझा नहीं किया जाता है। वास्तविक कार्ड डेटा, टोकन कार्ड नेटवर्क द्वारा सुरक्षित मोड में इकट्ठा हो जाता है. आरबीआई ने यह भी कहा कि टोकन को वापस वास्तविक कार्ड विवरण में बदलने को डी-टोकनाइजेशन के रूप में जाना जाता है. ग्राहक को इस सेवा का लाभ उठाने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा।

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