पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगी रामपुर रियासत की ऐतिहासिक विरासत

पर्यटक स्थल के रूप में विकसित होगी रामपुर रियासत की ऐतिहासिक विरासत

रामपुर, अखिलेश शर्मा, अमृत विचार। देश में गंगा जमुनी तहजीब के लिए मशहूर रामपुर रियासत के वंशजों के बीच चल रहा संपत्ति बंटवारे का विवाद अदालत से तय हो चुका है। अब नवाब खानदान रियासत की ऐतिहासिक विरासत को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करके सहेजने के लिए आपस में बातचीत कर रहा है। …

रामपुर, अखिलेश शर्मा, अमृत विचार। देश में गंगा जमुनी तहजीब के लिए मशहूर रामपुर रियासत के वंशजों के बीच चल रहा संपत्ति बंटवारे का विवाद अदालत से तय हो चुका है। अब नवाब खानदान रियासत की ऐतिहासिक विरासत को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करके सहेजने के लिए आपस में बातचीत कर रहा है। आने वाले दिनों में कोठी खास बाग के किनारे की आराजी में संग्राहलय स्थापित कराने की योजना है। इस संग्रालय में रियासत कालीन वस्तुओं, पेंटिंग्स और हथियारों और वर्तनों को सहेजा जाएगा।

बता दें कि 1972 में नवाब रज़ा अली खान से ताल्लुक रखने वाले 18 पक्षकारों के जरिए इस संपत्ति विवाद को दाखिल किया गया था, जिसमें अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज गौरव कुमार श्रीवास्तव ने पांच संपत्तियों जिनकी कीमत करीब 2600 करोड़ रुपए है, का बंटवारा 16 पक्षकारों के बीच शिया शरिया कानून के तहत कर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सक्सेना कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में पांच संपत्तियों का बंटवारा शरीयत कानून के तहत करने के निर्देश जिला जज रामपुर को दिए थे।

इसी प्रक्रिया के तहत न्यायालय में लगाई गई सभी आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद अब जिला जज ने बंटवारे की योजना सुप्रीम कोर्ट को भेज दी है। नवाब खानदान से ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां ने बताया कि वह बंटवारे से काफी खुश हैं क्योंकि इस फैसले को शरियतन किया गया है। विलय के बाद एक आम इंसान की संपत्ति की तरह उनकी पांच निजी संपत्तियों को बांटा गया है।

पक्षकार नवाब काजिम अली खान ने बताया कि चीफ जस्टिस की ट्रिपल बेंच ने जिला जज को बंटवारा करने का आदेश दिया था। प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद अब जिला जज की अदालत ने बंटवारा किया है और बंटवारे की स्कीम सुप्रीम कोर्ट दिल्ली भेज दी है। फैसले के बाद सभी पक्षकारों की योजना कोठी खास बाग में एक किनारे पर रियासत की अमूल्य धरोहर सहेजने के लिए संग्रहालय बनाने की भी है। इस जगह को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। देश में रामपुर रियासत गंगा जमुनी तहजीब के लिए मशहूर थी। नवाब के मंत्रिमंडल में सभी धर्म और जाति के लोगों को स्थान दिया गया था। सभी की राय मशविरा से वह कोई फैसले लेते थे।

यह खास कोठियां हैं नवाबियत की पहचान
रामपुर में भव्य इमारत कोठी खास बाग पैलेस और इसका परिसर, तहसील शाहबाद में कोठी शाहबाद और इसकी आराजी, शहर किनारे बाग़ बेनजीर एवं कोठी और बद्रे मुनीर का महल, सिविल लाइन्स में रेलवे स्टेशन के बराबर निजी नवाब स्टेशन और शहर किनारे सर्कुलर रोड पर मौजूद कुंडे का तालाब खास तौर से इन पांच संपत्तियों में शामिल हैं, जबकि इसके अलावा भी संपत्ति हैं।

ताज, सिंहासन और पेटिंग्स, फर्नीचर, पॉटरी भी है खास
जिले में शहर और तहसीलों में मौजूद महल और कोठियों के अलावा आखिरी नवाब की चल संपत्ति में ताज, सिंहासन, झाड़, फानूस, फर्नीचर, पोर्सिलेन, पॉटरी, डिनर सेट, गद्दी, क्रिस्टल, पेंटिंग्स, कारपेट, प्रतिमाओं के साथ साथ नायाब किस्म की चीजें शामिल हैं।

हथियार और आर्मरी भी मौजूद
तमाम नायाब चीजों के साथ हथियार असलाह आर्मरी भी मौजूद है। हालांकि इसकी वैल्यूएशन कोर्ट द्वारा लगाई गई है लेकिन पक्षकार नवाब काजिम अली खान खुद भी इस की वैल्यूएशन कराना चाहते हैं।

कोठी खास बाग में थी दुनिया मशहूर तिजोरी
यही नहीं कोठी खास बाग के स्ट्रांग रूम में मौजूद डेढ़ फुट की लोहे की दीवारों में कैद खजाने की तिजोरी दुनिया मशहूर चाबी कंपनी द्वारा बनाई गई थी। इसी तिजोरी को काटने में प्रशासन की मौजूदगी में 10 दिन लगे थे।

10 नवाबों ने 175 साल तक की रियासत पर हुकूमत
रामपुर ब्रिटिश शासन काल के दौरान रियासत था। 1774 ईस्वी में इसे नवाब फैज उल्ला खान ने बरेली जनपद के आंवला से आकर बसाया था। भारत में रियासत के विलय होने तक 10 नवाबों ने यहां हुकूमत की थी। आजादी के बाद अंतिम नवाब रजा खान के समय में ही यह पहली रियासत थी जो भारत गणराज्य में विलय हो गई।

 

रामपुर शहर में कोठी खास बाग के किनारे के कुछ हिस्से को ऐतिहासिक विरासत के रूप में बनाकर पर्यटन स्थल बनाया जाएगा। इसके लिए काफी आराजी छोड़ी जाएगी। साथ ही सभी पक्षकारों से मिलकर इसकी योजना बनाई जाएगी ताकि इसके रखरखाव के लिए कुछ आमदनी का जरिया हो सके। -नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां, नवाब रजा अली खां के वंशज (पूर्व मंत्री)

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