लखनऊ: विभाजन शुरु होते ही जल निगम में अफरा तफरी का माहौल, जानें वजह?

लखनऊ। कर्मचारियों के भारी विरोध के बीच शासन ने उप्र जल निगम को दो भागों में बांटने का कार्य शुरु कर दिया है। विभाजन का कार्य शुरु होते ही विभाग में अफरातफरी का माहौल है। फिफ्टी-फिफ्टी के अनुपात में जल निगम के कर्मचारियों के साथ संसाधनों और सम्पत्तियों का जल निगम नगरीय और जल निगम …
लखनऊ। कर्मचारियों के भारी विरोध के बीच शासन ने उप्र जल निगम को दो भागों में बांटने का कार्य शुरु कर दिया है। विभाजन का कार्य शुरु होते ही विभाग में अफरातफरी का माहौल है। फिफ्टी-फिफ्टी के अनुपात में जल निगम के कर्मचारियों के साथ संसाधनों और सम्पत्तियों का जल निगम नगरीय और जल निगम ग्रामीण में बटवारा होगा। लेकिन विभाग के 14 हजार पेंशनर्स और देनदारियों की जिम्मेदारी कौन लेगा यह अभी तय नहीं हुआ है। जल निगम में लगभग 9000 कर्मचारी, अधिकारी और इंजीनियर हैं। इस प्रक्रिया में लगभग एक साल लग जाएगा।
विभाग के बंटवारे में समन्वय की कमी से जनता को जनसुविधाएं मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा साथ ही जनप्रतिनिधियों की दिक्कतें भी बढ़ेंगी। उप्र जल निगम अभी तक नगर विकास विभाग के अधीन था। दो भागों में बंटने के बाद विभाग जल निगम नगरीय और जल निगम ग्रामीण में बंट गया है। जल निगम ग्रामीण नमामि गंगे एवं ग्रामीण पेयजल विभाग के अधीन आ गया है। 50 प्रतिशत कर्मचारियों का जल निगम से स्थानानांतरण भी शुरु हो गया है। जल निगम की प्रदेश भर में 113 निर्माण इकाइयां और सात मुख्य अभियंता कार्यालयों का भी बटवारा हो गया है।
जल निगम शहरी में 56 निर्माण इकाइयां और तीन मुख्य अभियंता कार्यालय वहीं जल निगम ग्रामीण में 57 निर्माण इकाइयां और चार मुख्य अभियंता कार्यालय बंटे हैं। अभी तक जल निगम जहां ज्यादा काम होता था उसके हिसाब से कर्मचारियों और अभियंताओं की तैनाती करता था। विभाजन में इस बात का ध्यान नहीं रखा गया है। इसके अलावा कार्यक्षेत्र का भी ध्यान नहीं रखा गया है। एक डिवीजन को अमेठी और सुल्तानपुर का ग्रामीण क्षेत्र वहीं दूसरी डिवीजन को सुल्तानपुर और अमेठी के शहरी क्षेत्र का कार्य दे दिया गया है।
अब सुल्तानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपनी समस्याओं के लिए अमेठी जाना पड़ेगा वहीं अमेठी के शहरी क्षेत्र के लोगों को सुल्तानपुर जाना पड़ेगा। इसी तरह मुख्य अभियंता के पास वाराणसी और इलाहाबाद का ग्रामीण क्षेत्र है। इलाहाबाद के मुख्य अभियंता को दोनों जगह शहरी क्षेत्र का कार्य दिया गया है। वाराणसी के शहरी क्षेत्र के लोगों को अपनी समस्याओं के लिए इलाहाबाद और इलाहाबाद के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को वाराणसी जाना पड़ेगा। जिससे जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा
वहीं दूसरी ओर समय पर निस्तारण ना होने से जनप्रतिनिधियों की भी परेशानी बढ़ेगी।
विभाग के बंटवारे से जिस बात की आशंका संघर्ष समिति को थी यह स्थिति शुरुआत में ही सामने आ रही है। बराबर अनुपात में कर्मचारियों और संसाधनों के बटवारे से दोनों जगह सही तरीके से काम नहीं हो पाएंगे। बटवारे की प्रक्रिया में समय लगेगा जिससे जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा...वाई एन उपाध्याय, सलाहकार, उप्र जल निगम संघर्ष समिति।