बरेली: एफपीओ को धान खरीद से बाहर करने से किसानों को झटका

बरेली: एफपीओ को धान खरीद से बाहर करने से किसानों को झटका

बरेली, अमृत विचार। कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को आय बढ़ाने के मकसद से पहली बार सरकार ने कोविड महामारी में धान खरीद की जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद गेहूं खरीद का मौका आया तो ऐसी शर्तें लगाईं कि ज्यादातर एफपीओ खरीद से बाहर हो गए। बाकी कसर नई धान खरीद नीति में एफपीओ को खरीद …

बरेली, अमृत विचार। कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को आय बढ़ाने के मकसद से पहली बार सरकार ने कोविड महामारी में धान खरीद की जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद गेहूं खरीद का मौका आया तो ऐसी शर्तें लगाईं कि ज्यादातर एफपीओ खरीद से बाहर हो गए। बाकी कसर नई धान खरीद नीति में एफपीओ को खरीद व्यवस्था से ही बाहर कर पूरी कर दी गई। इससे जहां एफपीओ और छोटे व लघु सीमांत किसानों की आय बढ़ाने के प्रयासों को तो झटका लगा ही। वहीं इस फैसले से संगठनों में जबर्दस्त नाराजगी है।

रविवार को कृषक उत्पादक संगठन समेत कई ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद वीना कुमारी मीना और अपर मुख्य सचिव कृषि डा. देवेश चतुर्वेदी को प्रत्यावेदन भेजकर धान खरीद का अवसर दिलाने की मांग की है। मगर किसी स्तर से कोई आश्वासन न मिलने से उनमें नाराजगी बढ़ रही है।

यह कहना है एफपीओ संचालकों का
हर एफपीओ में एक से दो हजार लघु-सीमांत किसान जुड़े हैं। इन किसानों के धान की मात्रा कम होने से इनकी बिक्री आसानी से नहीं हो पाती। इनका धान बिचौलियों के हाथों बिकता है, जिससे इन्हें पूरी कीमत नहीं मिल पाती है। एफपीओ लघु व सीमांत किसानों से ही खरीद करती है। लेकिन एफपीओ को खरीद नीति से बाहर करने से यह समस्या फिर बढ़ जाएगी। एफपीओ के लिए काम केवल कागजी है। – प्रेम मौर्या, निदेशक, पीलीभीत कृषक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी

एक तरफ किसानों की आय दोगुनी करने की बात करने वाली योगी सरकार ने एफपीओ की क्रियान्वयन नियमावली 2020 बनाई। इसके तहत किसानों के लिए 17 विभाग मिशन मोड में एक साथ कार्य करेंगे। इसका उद्देश्य हर किसान परिवार को उद्यमी के रूप में संगठित कर आत्मनिर्भर बनाना है लेकिन किसान ही अपनी बनाई कंपनी से खरीद नहीं कर सकते। इसलिए धान खरीद से एफपीओ को बाहर किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण व किसान विरोधी है। एफपीओ को नीति में शामिल किया जाना चाहिए। – डा. हरीश गंगवार, शुभकीर्ति प्रोडयूसर कंपनी लि.