रामपुर में बढ़ रही है साक्षरता दर, घट रहे हैं अंगूठा टेक

रामपुर, अमृत विचार। अच्छी खबर है कि रामपुर में पढ़े लिखे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है इसके सापेक्ष अंगूठा टेक कम होते जा रहे हैं। वर्ष 1991 से 2011 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाओं की शिक्षा दर में तेजी से इजाफा हुआ है। वर्ष 1991 में रामपुर की साक्षरता …
रामपुर, अमृत विचार। अच्छी खबर है कि रामपुर में पढ़े लिखे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है इसके सापेक्ष अंगूठा टेक कम होते जा रहे हैं। वर्ष 1991 से 2011 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाओं की शिक्षा दर में तेजी से इजाफा हुआ है। वर्ष 1991 में रामपुर की साक्षरता दर 25.37 थी यह वर्ष 2011 में बढ़कर 53.34 तक पहुंच गई। वर्ष 2021 में सांख्यिक आंकड़ों का ग्राफ 72 फीसदी तक पहुंच गया है।
देश में आज भी सबसे अधिक 49 प्रतिशत मुस्लिमों की आबादी रामपुर में है। मुस्लिम कल्चर में पर्दा प्रथा के चलते बेटियों की शिक्षा पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था। वजह पूछने पर बताया जाता कि बेटी से कौन सी नौकरी करानी है। बेटी कुरआन पढ़ ले और पांचों वक्त की नमाजी हो बस इतना ही काफी होता था।
दीनदार और घरेलू कामकाज में निपुण बेटियों के सहज ही रिश्ते मिल जाते थे और वह अपने ससुराल के लिए विदा हो जाती थीं। आंकड़े इसके गवाह हैं वर्ष 1991 तक रामपुर जनपद में 15.31 महिलाओं की शिक्षा दर थी जबकि, पुरुषों का आंकड़ा दोगुने से भी अधिक था। जबकि, वर्ष 2011 में महिलाओं की शिक्षा दर का आंकड़ा 53.34 तक पहुंच गया और एक सांख्यिक आंकड़े के मुताबिक, वर्ष 2021 तक महिलाओं की शिक्षा दर 71 से 72 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।
नवाबी दौर से रामपुर में यूपी में सबसे ज्यादा हैं सरकारी स्कूल
नवाबी दौर से ही रामपुर में सरकारी स्कूल सबसे ज्यादा हैं। जिससे रामपुर में बच्चों को सस्ती और अच्छी शिक्षा मिलती है। फिलहाल की बात करें राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय से पास आउट छात्र-छात्राओं ने हर मंच पर अपने रामपुर का नाम रोशन किया है। फिल्म कलाकार, पत्रकार, अधिवक्ता, आईएएस,इंजीनियर, डाक्टर, शिक्षक, नेता इस कालेज ने दिए हैं। जिन्होंने अपने और अपने रामपुर का परचम देश और दुनिया में लहराया है।
जिले की शिक्षा दर पर एक नजर
वर्ष शिक्षा दर पुरुष महिला
1991 25.37 33.79 15.31
2001 38.76 48.20 27.89
2011 53.34 61.40 44.44
रामपुर जनपद बहुत समय से पिछड़े जिले की श्रेणी में आता था और आर्थिक रूप से तो पिछड़ा थी लेकिन, शिक्षा के क्षेत्र में तो शून्य ही समझो। क्योंकि, यहां पर मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण दीनी तालीम दिलाई जाती थी। राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 80 दशक तक एक भी लड़की प्रवेश नहीं लेती थी। लेकिन, धीरे-धीरे संख्या बढ़ती गई और आज यह स्थिति है कि कालेज 65 प्रतिशत छात्राएं हैं इनमें 80 प्रतिशत छात्राएं मुस्लिम हैं यह रामपुर के लिए एक दिवास्वप्न था।
जो सरकार की नीतियों एवं अभिभावकों के जागरूक होने से और शिक्षा का महत्व जानने के कारण ग्राफ बढ़ा है और कालेज की छात्राओं ने अच्छा रोजगार भी प्राप्त किया है। इसके सापेक्ष कालेज में 35 प्रतिशत छात्र हैं। -डा. पीके वार्ष्णेय, प्राचार्य, राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुर
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