हल्द्वानी: आशाओं ने शुरू किया अनिश्चतकालीन कार्य बहिष्कार

हल्द्वानी, अमृत विचार। आशाओं ने मासिक वेतन और अन्य समस्याओं को लेकर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले आशा वर्कर्स महिला अस्पताल में प्रदर्शन कर धरना दिया। आशाओं ने कहा कि आशाओं का मानदेय फिक्स किया जाए। यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश …
हल्द्वानी, अमृत विचार। आशाओं ने मासिक वेतन और अन्य समस्याओं को लेकर अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले आशा वर्कर्स महिला अस्पताल में प्रदर्शन कर धरना दिया। आशाओं ने कहा कि आशाओं का मानदेय फिक्स किया जाए।
यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पांडेय ने कहा कि सेवा के नाम पर आशाओं का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा कि पूरे राज्य में अब एक साथ एक स्वर में आंदोलन चल रहा है। अपने वेतन और सम्मान के लिए आशा वर्कर तब तक सड़कों पर रहेंगी जब तक सरकार मासिक वेतन की घोषणा नहीं कर देती।
यूनियन की हल्द्वानी नगर अध्यक्ष रिंकी जोशी ने कहा कि, प्राथमिक रूप से मातृ शिशु सुरक्षा के लिए तैनात की गई आशाओं को आज कोविड से लेकर पल्स पोलियो, टीकाकरण, परिवार नियोजन, डेंगू, मलेरिया, ओआरएस बांटने और तमाम सर्वे व अभियानों में लगाया जा रहा है।
आशाओं के पास अपने परिवार तक के लिए फुर्सत नहीं है लेकिन सरकार एक रुपया भी मासिक वेतन के नाम पर नहीं दे रही है। इस दौरान भगवती बिष्ट, रीना बाला, सरोज रावत, भगवती बिष्ट, रजनी देवी, मंजू आर्य, शांति शर्मा, बीना उपाध्याय, कमला बिष्ट, दीपा जोशी, भवानी सुयाल, सुनीता भट्ट, अंजना, भगवती पाण्डे, शाहीन अख्तर, बसंती बिष्ट, प्रियंका सक्सेना, दीपा बिष्ट, अर्शी, धना मेहता आदि थे।
आशाओं की मुख्य मांगें
1-आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम 21 हजार वेतन लागू किया जाय।
2- जब तक मासिक वेतन और कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक आशाओं का मासिक मानदेय फिक्स किया जाय।
3- सभी आशाओं को सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का प्रावधान किया जाय।
4- पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा घोषित कोरोना भत्ता तत्काल आशाओं के खाते में डाला जाय।
5- कोविड कार्य में लगी आशाओं वर्करों की 50 लाख का जीवन बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा लागू किया जाय ।
6- कोरोना ड्यूटी के क्रम में मृत आशा वर्करों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और 4 लाख का अनुग्रह अनुदान भुगतान किया जाय।