गढ़चिरौली: 6 लाख रुपए के इनामी दो नक्सलियों ने पुलिस के सामने किया सरेंडर, बोले- इस जीवन से परेशान हो गए

गढ़चिरौली। दो नक्सली अनिल (4 लाख रुपए का इनामी) और रोशनी (2 लाख रुपए की इनामी) ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। ये जानकारी अंकित गोयल (SP गढ़चिरौली, महाराष्ट्र) ने दी। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने कहा की वो इस जीवन से परेशान हो गए थे और इसी वजह से महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाई गई …

गढ़चिरौली। दो नक्सली अनिल (4 लाख रुपए का इनामी) और रोशनी (2 लाख रुपए की इनामी) ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। ये जानकारी अंकित गोयल (SP गढ़चिरौली, महाराष्ट्र) ने दी। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने कहा की वो इस जीवन से परेशान हो गए थे और इसी वजह से महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाई गई आत्मसमर्पण नीति की तरफ आकर्षित हुए और उन्होंने आत्मसमर्पण करने का फैसला लिया।

बता दें कि अब तक बड़ी संख्या में सक्रिय नक्सलियों ने गढ़चिरौली पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है और कई अन्य पाइपलाइन में हैं। आज जिन दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, उनके नाम अनिल उर्फ रामसय जगदेव कुजुर, 26 साल और रोशनी उर्फ इरपे पल्लो, 30 साल है।

अनिल को दिसंबर 2009 में रिक्रूट किया गया था और उसके बाद से उसने कसंसुर और मिलितिया में काम किया है। अनिल साल 2011 में हुए खोबरमेंढा में हुए ऐम्बुश में शामिल था, जिसमें एक सीआरपीएफ जवान शहीद हुआ था और 5 जख्मी हुए थे। उसी साल वो मौजा निहायकल और ग्यारापट्टी के बीच हुए ऐम्बुश में भी शामिल था। उसमें 5 सीआरपीएफ के जवान जख्मी हुए थे और उसी साल वो छोटा जेलिया के जंगल में हुई फायरिंग में भी शामिल था।

अनिल ने बताया की सरकार द्वारा लोगों की भलाई के लिए चलाए जाने वाली स्कीम में लोगों को फायदा हो इस बात का समर्थन नक्सल नहीं करते। उन्होंने बताया कि सीनियर नक्सल गरीब ट्राइबल का इस्तेमाल खुद के फायदे के लिए करते हैं. अनिल ने कहा कि गढ़चिरौली पुलिस द्वारा एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं और ऐसे माहौल में जंगल में रहना खतरनाक है।

अनिल ने बताया कि वरिष्ठ कैडर के नक्सल वसूली किए गए पैसों का इस्तेमाल खुद के लिए करते हैं। वरिष्ठ नक्सल हमें हमारे ट्राइबल भाइयों की हत्या करने को कहते हैं वो भी इस संदेह पर की वो मुखबिर हैं। नक्सल को मेडिकल मदद नहीं मिलती, अगर उन्हें कोई समस्या हो गई तो दर्द जंगलों में काटना पड़ता है।

एसपी गढ़चिरौली अंकित गोयल ने बताया की रोशनी साल 2009 में नक्सल का हिस्सा बनी थी। रोशनी ने जातपुर में काम किया और वो टेकनिकल विभाग में भी काम कर चुकी हैं और डिप्यूटी कमांडर भी रह चुकी हैं। अंकित गोयल ने कहा कि साल 2015 में वो मौजा कुंडला के जंगलों में हुए एनकाउंटर में शामिल थी। इसके अलावा उसी साल रोशनी मौजा गुंडुरपाड़ा के जंगलों में हुए एनकाउंटर में भी शामिल थी। साल 2015 के आखिर में इसने 3 मासूम लोगों की मौजा इरापनेर में हत्या कर दी थी।

रोशनी ने बताया कि नक्सल आपके किसी भी काम की कीमत नहीं देते। पुरुष और स्त्री में भेदभाव किया जाता है और ये भी वरिष्ठ नक्सलियों द्वारा। महिला नक्सलियों को वरिष्ठ नक्सल बनने का मौका नहीं मिलता है। महिलाओं का सिर्फ सामान लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें किसी भी महत्वपूर्ण नक्सल ऑपरेशन का हिस्सा नहीं बनाया जाता। एनकाउंटर के समय पुरुष वहां से भाग निकलते हैं और महिलाओं को भागने में दिक्कत होती है जिस वजह से वो मारी जाती हैं।

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