राजपथ बना कर्तव्यपथ, NDMC ने पास किया नाम बदलने का प्रस्ताव

नई दिल्ली। दिल्ली के राजपथ का नया नाम अब कर्तव्यपथ होगा। बुधवार को हुई NDMC की बैठक में प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। खास बात है कि 26 जनवरी परेड की गवाह बनने वाले राजपथ का नाम पहले किंग्सवे था। यह गणतंत्र दिवस पर परेड विजय चौक से इंडिया गेट तक की दूरी तय …
नई दिल्ली। दिल्ली के राजपथ का नया नाम अब कर्तव्यपथ होगा। बुधवार को हुई NDMC की बैठक में प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। खास बात है कि 26 जनवरी परेड की गवाह बनने वाले राजपथ का नाम पहले किंग्सवे था। यह गणतंत्र दिवस पर परेड विजय चौक से इंडिया गेट तक की दूरी तय करती है।
Congratulations to all the citizens on this landmark decision. It shall reaffirm our commitment to serve our motherland in this #AmritKaal. #IndiaAt75
— Meenakashi Lekhi (@M_Lekhi) September 7, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार शाम नए राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का शुभारंभ करने जा रहे हैं। अब नेताजी की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक जाने वाली सड़क और पूरा इलाका कर्तव्यपथ के नाम से जाना जाएगा। इससे पहले प्रधानमंत्री आवास मार्ग का नाम भी रेस कोर्स रोड से बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया था।
केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने राजपथ के नाम बदलने के विचार पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम आजादी के बाद औपनिवेशिक मानसिकता को आगे बढ़ाते रहे। राजपथ दिखाता है कि आप राजा के लिए आए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और हमें साम्राज्यवादी नीतियों, प्रतीकों को खत्म करना होगा। इसलिए राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्यपथ किया गया।
कर्म ही पूजा है।
दिल्ली का 'राजपथ' अब 'कर्तव्य पथ' कहलाएगा।
यह भारत का सनातन उद्घोष है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 7, 2022
खास बात है कि 15 अगस्त को दिए भाषण में पीएम मोदी ने औपनिवेशिक मानसिकता को दिखाने वाले चिह्नों को खत्म करने की बात पर जोर दिया था। केंद्र सरकार की सेंट्रल विस्टा को लेकर तैयार की गई वेबसाइट के अनुसार, सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में राजपथ और इंडिया गेट लॉन्स शामिल हैं।
ऐतिहासिक राजपथ मार्ग राष्ट्रपति भवन से विजय चौक और इंडिया गेट तक जाता है और पुराना किले पर खत्म होता है। 20वीं सदी की शुरुआत में इसका नाम किंग जॉर्ज पंचम के नाम पर किंग्सवे कर दिया गया था। वह 1911 में दिल्ली दरबार के दौरान दिल्ली आए थे और कलकत्ता के स्थान पर दिल्ली को राजधानी बनाया गया था।
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