अयोध्या में रेगा हो गई मनरेगा, सिर्फ 667 को ही मिला 100 दिन काम

अयोध्या। एक ओर अयोध्या में अरबों की परियोजनाएं संचालित हैं वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) औंधे मुंह गिर गई है। ग्राम पंचायतों में संचालित भ्रष्टाचार व अनियमितता की भेंट चढ़ चुकी योजना के तहत सरकार का गांव में ही रोजगार के सृजन का संकल्प धूल-धुसरित हो गया है। हाल …

अयोध्या। एक ओर अयोध्या में अरबों की परियोजनाएं संचालित हैं वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) औंधे मुंह गिर गई है। ग्राम पंचायतों में संचालित भ्रष्टाचार व अनियमितता की भेंट चढ़ चुकी योजना के तहत सरकार का गांव में ही रोजगार के सृजन का संकल्प धूल-धुसरित हो गया है। हाल यह है कि मनरेगा की निगरानी के लिए लागू की गई व्यवस्था भी इसी भ्रष्टाचार के तंत्र का शिकार होकर रह गई है।

मनरेगा में शासन ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में 55 लाख मानव दिवस कार्य का लक्ष्य दिया है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल से 31 अगस्त बीत जाने के बाद भी अब तक मात्र 667 मजदूरों को ही सौ दिन काम मिल सका है। ऐसे में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप सक्रिय सवा तीन लाख मनरेगा मजदूरों को सौ दिन काम मिल पाना बेहद मुश्किल लगता है, जबकि सौ दिन के काम की गारंटी के साथ योजना पंचायतों में लागू की गई है।

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष के पांच माह में 81 से 99 दिन तक काम कर चुके मनरेगा मजदूरों की संख्या तीन हजार 855 है। 71 से 80 दिन तक काम करने वाले दो हजार 531 है। सबसे कम 14 दिन काम करने वालों की संख्या 27 हजार 731 है। 15 से 30 दिन तक 28 हजार 940 मजदूरों ने , 31 से 40 दिन तक 10 हजार 59, 41 से 50 दिन तक 11 हजार 625, 51 से 60 दिन तक सात हजार 930 व 61 से 70 दिन तक 4 हजार 697 मनरेगा जॉब कार्ड धारकों को काम मिला है।

इस हिसाब से अगले वित्तीय वर्ष के अगले सात माह में सवा तीन लाख जाब कार्ड धारकों को सौ दिन का काम दे पाना मुश्किल है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर इन मजदूरों को इतना कम दिन काम क्यों मिला? सूत्रों के अनुसार पंचायतों में काम का अभाव नहीं है, लेकिन प्रधान व सचिव अपने चहेते जॉब कार्डधारकों को काम देने में तवज्जो देते हैं, जबकि अन्य मजदूरों के साथ भेद-भाव किया जाता है।

एपीओ बोली – मस्टर रोल में तो काम चल रहा है

मनरेगा में ठप काम को लेकर ब्लाकों के जिम्मेदारों का गजब हाल है। इस बारे में जब शुक्रवार को पूराबाजार प्रतिनिधि ने अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी (एपीओ) से पूछा तो उन्होंने बताया कि मस्टर रोल में तो काम चल रहा है। विकासखंड पूरा बाजार में 54 ग्राम पंचायतों में कच्चा कार्य बंद हो गया है। कहीं-कहीं बाउंड्रीवाल आदि का काम हो रहा है।

ग्राम पंचायत सरेठी के ग्राम प्रधान रक्षाराम यादव, प्रधान संघ के ब्लॉक अध्यक्ष व प्रधान प्रतिनिधि मड़ना ओम प्रकाश यादव, कछौली के प्रधान सूबेदार यादव ने बताया कि बारिश के चलते मिट्टी का कोई कार्य नहीं हो पा रहा है। सराय चैमल के रोजगार सेवक ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि कार्य बंद है। एपीओ ज्योतिर्मय गुप्ता ने बताया कि हमें क्या पता काम बंद है कि चल रहा है। यह तो गांव के सेक्रेटरी और रोजगार सेवक ही बता पाएंगे। हमारे यहां जमा मस्टर रोल में काम चल रहा है।

काम न मिलने से फिर बाहर जाने लगे हैं लोग

जिले के सभी 11 ब्लाकों की 835 ग्राम पंचायतों में संचालित मनरेगा में कार्य न मिल पाने से लोग फिर बाहर जाने लगे हैं। कोरोना महामारी के पहले दौर में गांव लौटे लोगों को प्राथमिकता के आधार पर कार्य दिए जाने की योजना भी बनी। कुछ दिन व्यवस्था पटरी पर रही फिर सब पुराने ढर्रे पर आ गया, जिसके चलते लोगों का रुख फिर बाहर की ओर हो चला है।

कोट –
मनरेगा में जिन पंचायतों ने कम काम दिया है उनकी जांच कराई जा रही है। सचिवों और बीडीओ से रिपोर्ट मांगी गई है। वित्तीय वर्ष का लक्ष्य पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। – अनीता यादव, मुख्य विकास अधिकारी, अयोध्या

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