गुजरात उच्च न्यायालय ने मदरसा को हटाने के नोटिस मामले में हस्तक्षेप से किया इनकार

गुजरात उच्च न्यायालय ने मदरसा को हटाने के नोटिस मामले में हस्तक्षेप से किया इनकार

अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने वक्फ समिति की एक याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें सूरत नगर निगम (एसएमसी) द्वारा मदरसा को हटाने के लिए जारी नोटिस को चुनौती दी गई। भूमि पर नगर निगम ने दावा जताते हुए कहा कि उसने 1967 में इसका अधिग्रहण किया था। यह आदेश हाल में पारित किया …

अहमदाबाद। गुजरात उच्च न्यायालय ने वक्फ समिति की एक याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें सूरत नगर निगम (एसएमसी) द्वारा मदरसा को हटाने के लिए जारी नोटिस को चुनौती दी गई। भूमि पर नगर निगम ने दावा जताते हुए कहा कि उसने 1967 में इसका अधिग्रहण किया था। यह आदेश हाल में पारित किया गया और मंगलवार को उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर इसे अपलोड किया गया।

अदालत ने कहा कि वह धार्मिक स्कूल से संबंधित प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है। न्यायमूर्ति ए वाई कोगजे ने सूरत शहर के संग्रामपुरा इलाके में स्थित मदरसा संचालित करने वाली वक्फ समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एसएमसी द्वारा ढांचे को हटाने के लिए जारी एक नोटिस को चुनौती दी गई थी।

वक्फ समिति को पहली बार एक अक्टूबर, 2021 को एसएमसी द्वारा ‘‘अवैध निर्माण’’ को हटाने के लिए इस आधार पर नोटिस जारी किया गया था कि याचिकाकर्ता ने भूमि पर ‘‘अनधिकृत कब्जा’’ कर रखा है। ढांचा को गिराए जाने की आशंका से याचिकाकर्ता मदरसा-ए-अनवर रब्बानी वक्फ समिति ने वक्फ अधिकरण का रुख किया, जिसने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

एसएमसी द्वारा भूमि के स्वामित्व का दावा पेश करने के बाद अधिकरण ने यथास्थिति आदेश को आगे नहीं बढ़ाया। सूरत नगर निगम ने 29 दिसंबर, 2021 को समिति को एक और नोटिस जारी कर ढांचे को हटाने को कहा। इसके बाद, 28 मार्च, 2022 के एक आदेश द्वारा एसएमसी के एक कार्यकारी अभियंता ने सात दिनों के भीतर मदरसे को इस आधार पर हटाने का निर्देश दिया कि इसका निर्माण सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना किया गया था।

वक्फ समिति ने उच्च न्यायालय में एसएमसी के नोटिस (और आदेश को भी) को चुनौती देते हुए दावा किया कि जमीन पर मूल रूप से आशिक हुसैन अब्दुल हुसैन और उनके पांच भाइयों का मालिकाना हक था। एसएमसी ने दावा किया कि मुस्लिम छात्रों को शिक्षा मुहैया कराने के लिए उन्होंने यह संपत्ति वक्फ को भेंट कर दी थी।

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