किसानों के गन्ना बकाये के भुगतान के लिये सरकार उचित उपाय करे- संसदीय समिति

किसानों के गन्ना बकाये के भुगतान के लिये सरकार उचित उपाय करे- संसदीय समिति

नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने किसानों की गन्ना आपूर्ति का बकाया अब भी 16,612 करोड़ रूपये होने पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार बकाया राशि का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करने के लिए चीनी मिलों पर दबाव डालकर उचित उपाय करे तथा बंद एवं रूग्ण चीनी मिलों के पुनरूद्धार के लिये …

नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने किसानों की गन्ना आपूर्ति का बकाया अब भी 16,612 करोड़ रूपये होने पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार बकाया राशि का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करने के लिए चीनी मिलों पर दबाव डालकर उचित उपाय करे तथा बंद एवं रूग्ण चीनी मिलों के पुनरूद्धार के लिये नीति बनाए। संसद में मंगलवार को पेश खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति नोट करती है कि ‘‘ कुल 16,612 करोड़ रुपया गन्ने का बकाया है। यद्यपि गन्ना मूल्य बकाया काफी कम हो गया है लेकिन यह अब भी बहुत अधिक है।’’ समिति ने हैरानी जताते हुए कहा कि किसानों द्वारा गन्ने की आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर गन्ने के मूल्य का भुगतान करने के प्रावधानों के बावजूद यह शायद ही कभी किया जाता है। उसने कहा कि चीनी सीजन 2016-17 और उससे पहले का गन्ना मूल्य बकाया अब भी शेष है।

इसमें कहा गया है कि गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के प्रावधान के अनुसार 15 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित गन्ना मूल्य बकाया के भुगतान के लिए चीनी मिलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। समिति महसूस करती है कि समय पर गन्ना बकाया का भुगतान न करना हतोत्साहित करने वाला हो सकता है जो किसानों को गन्ना उगाने से रोक सकता है और उन्हें अन्य फसलों को उगाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति का कहना है कि लाभकारी कीमतों पर तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की बिक्री से चीनी मिलों की चल निधि में वृद्धि हुई है इससे चीनी मिलों की ओर से किसानों का बकाया जल्द से जल्द चुकाना और भी जरूरी हो गया है। समिति ने कहा है कि किसानों को उनकी कृषि उपज की आपूर्ति के तुरंत बाद लाभकारी मूल्य का भुगतान करने की आवश्यकता है इसलिए वह खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग को सभी बकाये का निपटारा करने और किसानों का तत्काल भुगतान सुनिश्चित करने के लिए चीनी मिलों पर दबाव डालकर उचित उपाय करने की पुरजोर सिफारिश करती है।

समिति ने इस उद्देश्य के लिए तैयार की गई कार्य योजना एवं विशिष्ट कदमों से अवगत कराने को भी कहा है। रिपोर्ट के अनुसार समिति नोट करती है कि देश में स्थापित 756 चीनी मिलों में से 506 चीनी मिलें ही चालू हैं और 250 चीनी इकाइयां वित्तीय संकट, कच्चे माल की अनुपलब्धता और संयंत्र एवं मशीनरी आदि विभिन्न कारणों से संचालित नहीं हो रही हैं। इसमें कहा गया है कि गन्ना की बकाया राशि के साथ ही बंद पड़ीं चीनी मिलों की संख्या को ध्यान में रखते हुए समिति ने चीनी मिलों के पुनरुद्धार के लिए उन्हें सहायता, आसान और सस्ता ऋण आदि प्रदान करने की व्यापक नीति तैयार करने की सिफारिश की है।

उसने कहा कि इससे अतिरिक्त राजस्व सृजित होगा और इस प्रकार गन्ना मूल्य के तेजी से समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा। समिति का यह विचार है कि निकायों के पुनरुद्धार का विचार करते समय ऐसी इकाइयों को आंशिक इथेनॉल उत्पादन के साथ जोड़ने जैसे महत्वपूर्ण कारकों का भी पता लगाया जा सकता है।

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