भारतीय ज्ञान परंपरा को राप्ती की तरह सींच रहा गोरखपुर विश्वविद्यालय: राजनाथ सिंह

भारतीय ज्ञान परंपरा को राप्ती की तरह सींच रहा गोरखपुर विश्वविद्यालय: राजनाथ सिंह

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पहले राष्ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय भारत की ज्ञान परंपरा को राप्ती की तरह से कई दशकों से सींचित करती आ रही है। पुरी दुनिया में जब कहीं जाता हूं तो मेरा परिचय …

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पहले राष्ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय भारत की ज्ञान परंपरा को राप्ती की तरह से कई दशकों से सींचित करती आ रही है। पुरी दुनिया में जब कहीं जाता हूं तो मेरा परिचय गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में कराया जाता है। मेरे जीवन पर इस विश्वविद्यालय की अमिट छाप है।

उन्होंने कहा कि कई दीक्षांत समारोह में शामिल होने का मौका मिला है, मगर, पुरातन छात्र सम्मेलन में एक पुरातन छात्र के रूप में जुड़ने वाले इस अनुभव से खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। जब कुलपति प्रो राजेश सिंह ने मुझे कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया तो व्यस्तता की वजह से मुझे मना करना पड़ा। विश्वविद्यालय से आत्मीय लगाव और यहां का छात्र होने की वजह से बाद में ऑनलाइन जुड़ना स्वीकार किया। आज विश्वविद्यालय की ओर से डिस्टिंगविश एल्युमिनाई अवार्ड को मैं प्रसाद के रूप में ग्रहण करता हूं।

इस विश्वविद्यालय में बिताए छह साल के दौरान अध्ययन के साथ शोध कार्यों और छात्रसंघ की राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई। पुरातन छात्र सम्मेलन एक आदर्श मंच है। जहां शिक्षकों, साथियों से जुड़ने का अवसर मिलता है। यादों में जीवन के सुनहरे पलों को वापस लाने की ताकत होती है। आजादी के बाद स्थापित होने वाले इस विश्वविद्यालय की नींव पंडित गोविंद वल्लभ पंत ने रखी। महंत दिग्विजयनाथ ने दो कॉलेज दान किया। आगे चलकर विवि का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा गया।

अपने दौर के सभी गुरूओं को रक्षा मंत्री ने किया याद

अपने भाषण के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने अध्ययनकाल के दौरान के सभी गुरूओं को याद किया। अपने गाइड प्रो एलएन त्रिपाठी को श्रद्धांजलि दी। साथ ही प्रो एलबी त्रिपाठी, प्रो राम अचल सिंह, प्रो देवेंद्र शर्मा, प्रो उदयराज राय सहित अन्य गुरूओं का नाम लेकर उन्हें नमन किया। कहा कि विश्वविद्यालय में स्थापित सभी विभागों को उस दौर के दिग्गजों ने स्थापित किया है। गौतम बुद्ध छात्रावास के कमरा नंबर 16 से जुड़े संस्मरण को ताजा किया।

छात्रसंघ चौराहा के माध्यम से बताई छात्र संघ की अहमियत

अपने भाषण के दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय राजनीति के प्रति जागरूक और जीवंत है। यहां के छात्र रहे वीर बहादुर सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें। अपने अध्ययन वर्ष के दौरान मैंने भी छात्रसंघ की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। बुनियादी सुविधाओं को लेकर कई बार आंदोलन किया। विश्वविद्यालय के छात्रों की राजनीतिक सक्रियता की वजह से ही यहां एक चौराहे का नाम छात्र संघ चौराहा रखा गया है।

कामगार अपने काम से कमाते हैं नाम

रक्षामंत्री ने मजदूर दिवस के अवसर पर देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने वाले श्रमिकों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि कामगार अपने काम से नाम कमाते हैँ। न कि नाम से काम कमाते हैं। प्रधानमंत्री भी ऐसा ही मानते हैं। आज हम भारत को सशक्त बनाने में लगे हैं। इसमें हमारे श्रमिकों का भी सराहनीय योगदान है। हम उनके दृढसंकल्प को नमन करते हैं। कोई देश तभी विकसित होता है जब वो कामगारों का सम्मान करता है।

नई शिक्षा नीति उद्यमिता, इनोवेशन को देती हैं बढ़ावा

रक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति शिक्षा के साथ साथ उद्यमिता, इनोवेशन को बढ़ावा देती है।  हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षण तैयार करने की आवश्यकता है। ताकि, हमारे देश की प्रतिभाओं का दूसरे देशों में पलायन रूक सके। दुनिया की बड़ी से बड़ी कंपनी चलाने वाले मूलरूप से भारतीय हैं। प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में 2014 के बाद प्रत्येक सप्ताह एक विश्वविद्यालय, और प्रतिदिन दो कॉलेज खोले जा रहे है। आईआईटी, आईआईएम की स्थापना की जा रही है।

पुरातन छात्रों को समर्पित गैलरी बनाएगा विश्वविद्यालय- कुलपति

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय से कभी 28 जिलों के कॉलेजों का संचालन होता था। धीरे धीरे विश्वविद्यालय के अंदर राममनोहर लोहिया, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, बलिया विश्वविद्यालय, आजमगढ़ और सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय निकले हैं। पुरातन छात्रों के रूप में हमारे जड़े काफी गहरी है। विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से कभी पुरातन छात्र सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ था। तब हमने अपनी धरोहरों को सहेजने का बीड़ा उठाया। इस कड़ी में 5-7 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन का आयोजन होगा।

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