आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा खारिज

आईपीएस अधिकारी रूपा मौदगिल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा खारिज

बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी डी रूपा मौदगिल के खिलाफ लंबित मानहानि का एक मुकदमा खारिज कर दिया है। मौदगिल, वर्तमान में कर्नाटक हस्तशिल्प विकास निगम की प्रबंध निदेशक हैं। एच एन सत्यनारायण राव नाम के एक अन्य आईपीएस अधिकारी ने उनके खिलाफ यह मुकदमा दायर किया था। यह …

बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की अधिकारी डी रूपा मौदगिल के खिलाफ लंबित मानहानि का एक मुकदमा खारिज कर दिया है। मौदगिल, वर्तमान में कर्नाटक हस्तशिल्प विकास निगम की प्रबंध निदेशक हैं। एच एन सत्यनारायण राव नाम के एक अन्य आईपीएस अधिकारी ने उनके खिलाफ यह मुकदमा दायर किया था। यह मामला तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की सहयोगी वी के शशिकला को पारापन्ना अग्रहार जेल में कथित सुविधाएं मुहैया करने से संबंधित है।

शशिकला भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में कैद थीं। मीडिया में इस तरह की खबरें आई थीं कि शशिकला के लिए जेल में कथित तौर पर एक अलग रसोई की व्यवस्था की गई थी। राव महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक (जेल) थे ,जबकि मौदगिल पुलिस(जेल) उप महानिरीक्षक, उनकी अधीनस्थ थीं जब विवाद उत्पन्न हुआ था। मौदगिल ने अपने वरिष्ठ अधिकारी राव के साथ एक पत्राचार में कहा था कि ये अटकलें हैं कि अवैध सुविधाएं जारी रखने के लिए दो लाख रुपये की रिश्वत दी गई है।

राव ने आरोप लगाया था कि मौदगिल ने मीडिया के जरिये उनकी छवि धूमिल की। उन्होंने मौदगिल पर यह आरोप भी लगाया कि उन्होंने उस रिपोर्ट का व्यापक प्रचार किया, जिसे उन्होंने विभाग प्रमुख को लिखा था। नौवें अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट,बेंगलुरु, के समक्ष लंबित मानहानि के मुकदमे को चुनौती देते हुए मौदगिल के वकील मधुकर देशपांडे ने दलील दी कि उन पर मुकदमा चलाने के लिए आधिकारिक मंजूरी जरूरी है क्योंकि कथित व्यवहार आधिकारिक ड्यूटी का निर्वहन करते हुए किया गया था।

उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मौदगिल की याचिका स्वीकार कर ली और निचली अदालत में लंबित मुकदमे को रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि मजिस्ट्रेट सक्षम प्राधिकार से मंजूरी के बिना इस तरह के अपराध (मानहानि) का संज्ञान नहीं ले सकते हैं। साथ ही, रिपोर्ट दो व्यक्तियों के बीच पूरी तरह से आधिकारिक संवाद था।

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