बरेली: FIR दर्ज होने पर पीड़ित परिवार को मिल रही धमकी, डीएम को ज्ञापन देकर लगाई न्याय की गुहार

बरेली, अमृत विचार। बीते 22 सितम्बर को ऐसी बस का कम्प्रेशन फटने से काम कर रहे मकैनिक की हादसे में मौत हो गई थी। इस पर परिजनों ने कंपनी मैनेजर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। मामले में पीड़ित परिजन ने मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप है कि आरोपी परिजनों को डरा धमका रहे हैं, …

बरेली, अमृत विचार। बीते 22 सितम्बर को ऐसी बस का कम्प्रेशन फटने से काम कर रहे मकैनिक की हादसे में मौत हो गई थी। इस पर परिजनों ने कंपनी मैनेजर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। मामले में पीड़ित परिजन ने मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप है कि आरोपी परिजनों को डरा धमका रहे हैं, मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहे हैं, जिसे लेकर पीड़ित परिवार ने जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई है।

तड़पता रहा विजय नहीं पहुंचाया गया अस्पताल
जिले में नगर निगम से की तरफ से शहर में चलाई जा रही। इलेक्ट्रॉनिक बसों का चार्जिग स्टेशन मिनी वाईपास के पास वर्कशाप स्वाले नगर पर बनाया गया है। बीते 22 सितंबर को ऐसी बस का कम्प्रेशन फटने से हादसा हो गया था, जिसमें उस वक्त काम कर रहे हादसे का शिकार हुए अशोक नगर थाना इज्जनतनगर निवासी मकैनिक विजय की हादसे में मौत हो गई थी। मृतक की पत्नी ने पति की मौत को  लेकर कंपनी मैनेजर पर लापरवाही बताया है। कहा कि गंभीर रूप से घायल पति को अगर समय से अस्पताल पहुंचा दिया गया होता तो मौत न होती।

कंपनी अधिकारियों पर अमानवीय व्यवहार का आरोप
परिजनों ने कहा कि घायल होने के बाद काफी समय तक इलाज के लिये विजय तड़पता रहा किन्तु वर्कशॉप मैनेजर व फ्लीट मैनेजर एवं अन्य अधिकारीगणों द्वारा मानवता को ताक पर रख दी गई। उसे कोई भी चिकित्सीय सुविधा के देने के लिये प्रयास नहीं किया गया।काफी समय बीत जाने के बाद क्षेत्रीय ट्रैफिक पुलिस घटना स्थल पर पहुंची थी। बाद में इलाज के लिये फ़ौरी तौर पर वर्कशॉप के मैनेजर ने किसी व्यक्ति के माध्यम से उसके मृत शरीर को जानबूझ कर जिला अस्पताल भिजवा दिया और स्वयं की अनमित्ताय छिपाने के लिये घायल हुए अन्य कर्मचारियों को मिनीबाईपास स्थित अस्पताल में भर्ती कराया था।

सेफ्टी उपकरण का अभाव
कम्पनी के जिम्मेदार अधिकारिगणों ने पहले तो सुरक्षा के इंतजामों को सुचारू व्यवस्थित नहीं किया और सुरक्षा उपकरणों के अभाव में इतनी बड़ी दुर्घटना घटित हुई। हालांकि परिजनों ने 22 सितंबर को मामला पंजीकृत दर्ज करा दिया था। यही नहीं परिजनों  ने ये भी आरोप लगाया कि कम्पनी के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने मानवता को ताक में रख दिया पहले तो अन्तिम संस्कार होने तक कम्पनी का क्लेम व मृतक के परिवार वालो को गुमराह कर सांत्वना देते रहे और बाद मे मुकदमा दर्ज हो जाने पर अपनी रंगत ही बदल दी और विचौलियों के माध्यम से मुकदमे को वापस लेने के लिये डराने व धमकाने लगे।

मुकदमा दर्ज होने पर परिजनों को डराने- धमकाने की कोशिश
यही नहीं परिजनों का ये भी आरोप है कि 25 सितंबर को दोपहर लगभग तीन बजे कम्पनी के निदेशक दीपेश द्विवेदी व एफआईआर में नामजद विकास गिरी, गौरव सूद व दो व्यक्ति अन्य आए। पहले तो सांत्वना देते हुए मुकदमा वापस लेने के लिये दबाव बनाने लगे। जब मृतक की पत्नी ने इसका विरोध किया तो  सभी अधिकारी आग बबूला  हो गए और जाति सूचक शब्दों का प्रयोग कर धमकी देने लगे और कहने लगे कि सरकार मे हमारी अच्छी पैठ है। उन लोगों को कुछ नहीं होगा। तभी से परिवार के सभी सदस्य डरे शहमे हैं। पीड़ित परिवारों ने मृतक विजय की पत्नी ने जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई है।

ये भी पढ़ें:-बरेली: फिर से मिले गौवंशीय पशुओं के अवशेष, पुलिस महकमें में हड़कंप, जांच में जुटी