बरेली: रामगंगा के पुर्णोद्धार के लिए बनेगा ‘जिला गंगा प्लान’, नदियों का नक्शा होगा तैयार

बरेली: रामगंगा के पुर्णोद्धार के लिए बनेगा ‘जिला गंगा प्लान’, नदियों का नक्शा होगा तैयार

बरेली, अमृत विचार। केंद्र सरकार के नमामि गंगे योजना के तहत अपना अस्तित्व खोने की कगार पर खड़ीं नदियों के पुर्णोद्धार का कार्य जोरशोर से किया जा रहा है। बीते साल जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला गंगा कमेटी का गठन भी किया गया था। यह भी पढ़ें- बरेली: पहले बनाए संबंध, अब निकाह के लिए …

बरेली, अमृत विचार। केंद्र सरकार के नमामि गंगे योजना के तहत अपना अस्तित्व खोने की कगार पर खड़ीं नदियों के पुर्णोद्धार का कार्य जोरशोर से किया जा रहा है। बीते साल जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला गंगा कमेटी का गठन भी किया गया था।

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जनपद में प्रमुख नदी रामगंगा के पुर्णोद्धार को लेकर यह कमेटी काम कर रही है। इस कार्य को विस्तार देने के लिए जल्द ही जिला गंगा एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। इस काम में वन विभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ मुख्य भूमिका में है। अधिकारियों के मुताबिक जिला गंगा प्लान के जरिए जनपद में बहने वाले छोटी-बड़ी नदियों का एक विस्तृत नक्शा तैयार कर वैज्ञानिक विधि के तहत काम किया जाएगा।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के समन्वयक डा. मोहम्मद आलम ने बताया कि बरेली में जिन छोटी बड़ी नदियों के पुर्णोद्धार का कार्य किया जाना है, उनमें रामगंगा, देवरनिया, नकटिया व अरिल नदी समेत उनकी सहयोगी नदियों का मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाना है। जिसको जिला गंगा एक्शन प्लान का नाम दिया गया है।

उन्होंने बताया कि अब तक नदियों के पुर्णोद्धार के लिए प्रयास तो काफी हुए मगर इस बार वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से इस पर काम किया जाएगा। संबंधित विभागों की सहभागिता को भी तय किया जाएगा। जिसमें सिंचाई विभाग, मत्सय पालन विभाग, नगर निगम, कृषि विभाग आदि विभाग शामिल हैं।

इसके अलावा जनसहभागिता बढ़ाने को लेकर भी प्रयास किए जाएंगे। इन नदियों में पानी के इनपुट व आउटपुट पर बेहतर तरीके से शोध किया जाना है। प्रभागीय वनाधिकारी समीर कुमार ने बताया कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया द्वारा बरेली व मुरादाबाद में कार्य किया जा रहा है।

इसके अलावा नमामि गंगा कार्यक्रम के तहत जिला गंगा कमेटी द्वारा पूर्व में नदियों के पुर्णोद्धार के लिए कार्य किए गए। जिसमें नदी के कटान को रोकने के लिए पौधारोपण किया गया। आसपास रहने वाले किसानों को जागरूक किया गया कि वह फसलों में कीटनाशकों का कम से कम उपयोग करें। प्रदूषण के रूप में शहर का गंदा पानी जो नदियों में जाता है उसको लेकर सीवरेज मैनेजमेंट प्लांट को लेकर भी काम किया जा रहा है।

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