खतरा बनता तालिबान

अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार में अफगान सेना व तालिबानियों के बीच भारी लड़ाई चल रही है। कंधार की आबादी करीब साठ लाख है। यहां की जेल में करीब 600 राजनयिक कैदी है, जिन्हें तालिबान छुड़वाना चाहता है। मौजूदा हालात के मद्देनजर अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के संकेत मिल रहे हैं। खबरें …

अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार में अफगान सेना व तालिबानियों के बीच भारी लड़ाई चल रही है। कंधार की आबादी करीब साठ लाख है। यहां की जेल में करीब 600 राजनयिक कैदी है, जिन्हें तालिबान छुड़वाना चाहता है। मौजूदा हालात के मद्देनजर अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के संकेत मिल रहे हैं। खबरें आ रही है कि तालिबान ने आधे अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है।

लोगार प्रांत के गवर्नर अब्दुल कय्युम रहीमी का आरोप है कि पाकिस्तान लगातार तालिबान की मदद कर रहा है। पाकिस्तान के नागरिक और उनकी फौज की कर्नल भी तालिबान का भेष बदल कर आ रहे हैं। पिछले कई महीने से चीनी अधिकारी यह चेतावनी दे रहे हैं कि अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी से तालिबान फिर से उभरकर सामने आ रहा है और इससे क्षेत्रीय असंतुलन का खतरा पैदा हो गया है।

अमेरिका इस साल 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से वापस जा रहा है। निस्संदेह जब अमेरिका अफगानिस्तान से पूरी तरह निकल जाएगा तो तालिबान की चुनौती बड़े रूप में सामने आ सकती है। भले ही अमेरिका अफगानिस्तान से निकल रहा है लेकिन वह चाहता है कि अफगानिस्तान नब्बे के दशक की तरह वैश्विक आतंकवाद का केंद्र न बने। वहां आईएसआईएस व अल कायदा को उर्वरा जमीन न मिले। कमोबेश यही चिंता भारत की भी है। विगत में भारत ने अफगानिस्तान के विकास में रचनात्मक भूमिका का निर्वहन किया है।

भारत की चिंता यह भी है कि यदि अफगानिस्तान में तालिबानी राज्य की स्थापना होती है तो चरमपंथियों की हलचल भारतीय कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने के रूप में हो सकती है। चीन की आक्रमकता भी भारत के लिए चिंता के केंद्र में है। उधर अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भारत यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका अफगानिस्तान में उत्पन्न चुनौतियों तथा चीन से रणनीतिक मुकाबला कर रहा है।

निश्चित रुप से भारत के साथ सामरिक, आर्थिक संबंधों को मजबूत करना अमेरिका के राष्ट्रीय हित में है। भारत के नजरिये से महत्वपूर्ण यह भी है कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने गुरुवार को आश्वासन दिया कि अमेरिका अफगानिस्तान में भारत के हितों का ध्यान रखेगा।

साथ ही ब्लिंकन ने इंडो-पेसिफिक इलाके में चीन की आक्रामकता पर अंकुश लगाने के लिए बने अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत व जापान के साझा संगठन क्वाड का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया कि समान विचारधारा वाले देशों का यह संगठन साझा मुद्दों पर एकजुट होकर काम करेगा। अमेरिकी विदेश मंत्री की भारत यात्रा निश्चित ही चीन को अखरी होगी।