वक्फ की अवैध संपत्तियों पर योगी सरकार का एक्शन शुरू, बनाई गई लिस्ट
प्रदेशभर में होगा सर्वे, डीएम की निगरानी में तैयार होगी संपत्तियों की फेहरिस्त
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लखनऊ, अमृत विचार: योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में अवैध तरीके से कब्जा कर वक्फ घोषित संपत्तियों पर कानून का शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। इस कवायद के तहत प्रदेशभर में मनमाने तरीके से वक्फ घोषित संपत्तियों के खिलाफ अभियान चलेगा। तमाम जिलों से शासन के पास इनपुट है ग्राम सामाज और सरकारी जमीनों को ही नहीं तालाब, पोखर तक को वक्फ बता दिया गया है। ऐसे में प्रदेशभर में जिलाधिकारियों की देखरेख में सर्वे किया जाएगा और ऐसी एक-एक ऐसी संपत्तियों की फेहरिस्त तैयार की जाएगी। बाद में अवैध संपत्तियों को जब्त करने का अभियान चलेगा।
दरअसल, इस सर्वे अभियान के दौरान राजस्व टीम को यह जानकारी जुटानी होगी कि किस जिले में कितनी ऐसी संपत्तियां हैं जिन्हें नियमों के खिलाफ जाकर वक्फ की घोषित किया गया है। सरकार का तर्क है कि ग्राम समाज और सरकारी जमीनों को वक्फ की संपत्ति नहीं घोषित किया जा सकता है। केवल दान दी गई संपत्ति को ही वक्फ माना जा सकता है। सरकार का कहना है कि सरकारी और ग्राम समाज की जमीनें वक्फ की संपत्ति नहीं हो सकती हैं। इसके बावजूद प्रदेश में कई संपत्तियों को मनमाने तरीके से वक्फ घोषित कर दिया गया है।
राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, उनके अभिलेख में केवल 2963 वक्फ संपत्तियां ही दर्ज हैं। बाकी संपत्तियों को अवैध रूप से वक्फ घोषित किया गया है। उत्तर प्रदेश में कई संपत्तियों को गलत तरीके से वक्फ की संपत्ति बता दिया गया है। इनमें खलिहान, तालाब और पोखर जैसी जमीनें शामिल हैं। पीलीभीत में एक तालाब की जमीन को वक्फ की घोषित किए जाने का मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। इसी के मद्देनजर राजस्व विभाग पूरे प्रदेश में सर्वे करा रहा है। इस सर्वे में यह पता लगाया जाएगा कि कितनी संपत्तियों को अवैध तरीके से वक्फ बताया गया है। जिलाधिकारियों से इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
सच्चाई यह है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड की 124355 और शिया वक्फ बोर्ड की 7785 संपत्तियां रिकॉर्ड दर्ज हैं। लेकिन जिलाधिकारियों की रिपोर्ट बताती है कि राजस्व अभिलेखों में दोनों बोर्डं की क्रमश: 2533 और 430 संपत्तियां ही दर्ज हैं। एक आंकलन के अनुसार 57792 सरकारी संपत्तियां अवैध रूप से वक्फ संपत्तियों के रूप में दर्ज हैं। इनका रकबा 11712 एकड़ है।
शासन की ओर से दोनों वक्फ बोर्ड को भी पत्र लिखा जा रहा है कि वह अपने यहां के आंकड़ें की जांच कराएं। रिपोर्ट और वक्फ से मिले आंकड़े से मिलान के बाद अपंजीकृत संपत्तियों की मौजूदा स्थिति का पता लगाया जाएगा। नियमानुसार, जिन संपत्तियों को वक्फ नहीं किया जा सकता था उनकी सूची तैयार हो। सरकार का मानना है कि इन संपत्तियों को राज्य सरकार वापस ले सकती है।
सैकड़ों संपत्तियां वक्फ बोर्ड के रिकार्ड में लेकिन तहसील रिकार्ड में नहीं
बीते साल संसद में पेश हुए वक्फ संशोधन विधेयक के बाद गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बीते दिनों जब लखनऊ पहुंची तो एक रिपोर्ट साझा की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक उपयोग की भूमि और शत्रु संपत्ति पर अवैध तरीके से वक्फ बोर्ड अपना दावा कर रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रदेश के लगभग 40 ऐसे जिले हैँ जिनकी सैकड़ों संपत्तियां शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड के रिकार्ड में तो दर्ज हैं नहीं, लेकिन तहसील रिकार्ड में उनका नामांतरण नहीं किया गया है।
इन जिलों के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं वक्फ संपत्तियां
इन जिलों में फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, एटा, कासगंज, अयोध्या, आजमगढ़, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, जालौन, ललितपुर, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, हरदोई, रायबरेली, बुलंदशहर, गाजियाबाद, हापुड़, बलिया, बदायूं, शाहजहांपुर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, भदोही, मीरजापुर, सोनभद्र, बिजनौर, कौशांबी, प्रयागराज, चंदौली, जौनपुर, वाराणसी और महोबा शामिल हैं।