शाहजहांपुर: पहले विज्ञान के चमत्कार ने बनाया महिला से पुरुष...अब शरद को मिला पिता बनने का सुख

शाहजहांपुर, अमृत विचार। जेंडर बदलकर वर्ष 2023 में डीएम से प्रमाण पत्र पाने वाले दिव्यांग शरद रोशन सिंह को सफल दांपत्य जीवन में अब पिता का सुख भी मिल गया है। उनकी पत्नी सविता सिंह ने शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में बेटे को जन्म दिया है। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं, फिलहाल उन्हें चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है। वहीं विज्ञान के चमत्कार से पैदा हुए बच्चे को हर कोई अचरज भरी नजर से देख रहा है। परिवार में खुशी का माहौल है।
काकोरी कांड के बलिदानी ठाकुर रोशन सिंह की प्रपौत्री खुदागंज के गांव नवादा दरोवस्त निवासी सरिता सिंह ने 2021-22 में जेंडर परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू कराई। लखनऊ में उन्होंने हार्मोंस थेरेपी कराई तो चेहरे पर दाढ़ी के बाल आने शुरू हो गए। चार थेरेपी के बाद आवाज में भी परिवर्तन होकर पुरुषों जैसी होने लगी। इसके बाद वर्ष 2023 के शुरुआत में सरिता सिंह ने मध्य प्रदेश के इंदौर में सर्जरी कराके गर्भाशय निकलने के बाद पेनिश का प्रत्यारोपण कराया गया। इस तरह चार सर्जरी और पांच वर्ष की प्रक्रिया के बाद सरिता सिंह को पूरी तरह से पुरुष बनने में कामयाबी मिल गई। इसके बाद 27 जून 2023 को तत्कालीन डीएम उमेश प्रताप सिंह ने जेंडर बदलने का प्रमाण पत्र शरद रोशन सिंह के नाम से दे दिया।
शरद सिंह बनने के बाद सरिता ने अपनी सहेली पीलीभीत के गांव देवहा निवासी सविता सिंह से 23 नवंबर 2023 को शादी कर ली थी। शादी के बाद सफल दांपत्य जीवन के दौरान सविता गर्भवती हुई तो शरद को उम्मीद जग गई कि अब वह पिता का सुख पा सकेगा। उसकी यह उम्मीद बुधवार को पूरी हो गई। प्रसव पीड़ा होने पर उसने पत्नी सविता को शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया।
जहां शाम करीब पांच बजे ऑपरेशन से बेटे को जन्म दिया। बेटे के जन्म की खुशी पर शरद सिंह का कहना है कि हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसे संतान सुख की प्राप्ति हो। सामान्य व्यक्तियों की तरह ही वह भी पिता बने हैं। लेकिन जिन परिस्थितियों से गुजरकर हमें पिता बनने का सुख मिला है यह खुशियां सभी को मिलें हमारी यह दुआ है। शरद रोशन सिंह ददरौल ब्लाक के गांव सतवां खुर्द में प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर कार्यरत हैं। वह पैरो से दिव्यांग हैं।
सविता ने भी जेंडर बदलवाने के लिए किया था प्रोत्साहित
शरद सिंह (सरिता) के पिता जगदीश सिंह भी अध्यापक थे। डिस्फोरियासे जुझ रहीं सरिता सिंह में शुरू से ही पुरुष जैसे हार्मोंस थे। जांच कराने पर पता चला कि शरीर महिला जैसा जरूर है, लेकिन शरीर के अंदर 75 प्रतिशत हार्मोंस पुरुषों के हैं। इसके बाद सरिता सिंह ने अपना जेंडर परिवर्तन कराने के प्रयास शुरू कर दिए। इस प्रयास में सरिता को सहेली सविता सिंह का भी प्रोत्साहन मिल गया।
इसलिए नाम में जोड़ा रोशन सिंह
शरद रोशन सिंह ने जेंडर परिवर्तन के बाद अपने नाम के पीछे जो रोशन सिंह का नाम लिखवाया है, वह उनके दादा हैं और देश की आजादी के लिए काकोरी कांड में उनकी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां के साथ भूमिका रही थी। ठाकुर रोशन सिंह के दो पुत्र चंद्र देव सिंह और बृजपाल सिंह थे। चंद्रदेव के दो बेटे जगदीश सिंह और महेंद्र सिंह हैं। जगदीश सिंह के आठ संतानों में सात पुत्रियां और एक पुत्र जितेंद्र सिंह थे। इन सात पुत्रियों में से ही एक सरिता सिंह हैं जोकि जेंडर परिवर्तन करके शरद रोशन सिंह बने हैं।
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