Flipkart पर डिलीवरी और रिफंड में करोड़ों की हेराफेरी, गिरफ्तार
फर्जी पहचान पत्र पर हासिल की थी कंपनी में नौकरी
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लखनऊ, अमृत विचार: फ्लिपकार्ट की सहयोगी एजिस कस्टमर सपोर्ट सर्विसेज कंपनी के 3 कर्मचारियों ने डिलीवरी और रिफंड के नाम पर एक करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की। इस मामले में साइबर क्राइम थाने की टीम ने एक को गिरफ्तार किया। दो की तलाश की जा रही है। इंस्पेक्टर साइबर थाना बृजेश कुमार यादव ने बताया कि इस गिरोह का तार बांग्लादेश और नेपाल से जुड़ा है।
इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाना बृजेश कुमार यादव के मुताबिक आरोपी राहुल जोनवाल को अजमेर से बुधवार को गिरफ्तार किया गया। राहुल अजमेर के धान नाडी नयी बस्ती का रहने वाला है। उसने अपने दो अन्य सहयोगी आंध्र प्रदेश के शेख अब्दुल खादर जिलानी और पश्चिम बंगाल की तस्सारून नाजरीन के साथ मिलकर फ्लिपकार्ट कंपनी से ऑन सामानों की बुकिंग की। इसकी डिलीवरी ली इसके बाद कंपनी से रिफंड भी हासिल किया। कंपनी के अधिकारी विकास अहलावत ने नवंबर में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया कि तीनों फर्जीवाड़ा कर करीब 80 लाख रुपये की हेराफेरी की थी।
कस्टमर सपोर्ट एक्सीक्यूटिव के पद पर था तैनात
इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाने के मुताबिक राहुल स्टार टेक कंपनी में कस्टमर सपोर्ट एक्सीक्यूटिव के पद पर तैनात था। कंपनी द्वारा उसे दो पोर्टल दिये गये थे, जिसमें एक फ्लिपकार्ट स्मार्ट असिस्ट और दूसरा ई-कार्टकंसोल शामिल था। ई-कार्टकन्सोल पर सभी डिलीवरी से संबंधित जानकारी दिखती है। इसके डेशबोर्ड में आरटीओ (रिटर्न टू ओरिजन) का विकल्प होता था जिससे ऑर्डर कैंसिल किया जा सकता था। इसका दुरुपयोग कर साइबर ठगी का गिरोह चला रहे थे। ई-कार्टकन्सोल पर आरटीओ मार्क कर देता था। लेकिन आरटीओ का स्टेटस के अपडेट होने में 24 घंटे लग जाते थे। जिससे डिलीवरी भी हो जाती थी और प्रोडक्ट का रुपया भी रिफंड हो जाता था। इसी तरीके से राहुल ने करीब एक करोड़ रुपये का 149 सामान हड़प लिया। जिसमें आईफोन, सैमसंग के प्रीमियम फोन, टैब, लैपटॉप जैसे सामान शामिल है। इनको अपने नेटवर्क के जरिये नेपाल में बेचा था।
साफ्टवेयर से बदल दिये आईएमईआई नंबर
इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाना बृजेश यादव के मुताबिक आरोपी राहुल ने कुबूल किया कि तीनों आरोपियों ने फर्जी पहचान पत्र के जरिये कंपनी में नौकरी हासिल की थी। योजना बनाकर तीनों ने कंपनी के ऑन लाइन आर्डर किया। इसके बाद रिफंड दिखाकर नकदी वसूली। देश के अंदर बेचे गए कीमती मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर को सॉफ्टवेयर के जरिये बदल दिया था। ताकि किसी को पता भी न चल सके। पुलिस टीम शेख अब्दुल खादर जिलानी और तस्सारून नाजरीन की तलाश कर रही है।
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