KGMU: बोर्ड परीक्षा की तैयारियों को लेकर केजीएमयू के मानसिक रोग विशेषज्ञ ने परीक्षार्थियों को दिए कई अहम सुझाव
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लखनऊ, अमृत विचार। यूपी बोर्ड परीक्षा फरवरी से शुरू होनी है। छात्र-छात्राओं पर पढ़ाई का दबाव है। परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए वह तैयारियों में जुटे हैं। लगातार कई घंटे पढ़ाई करने से अवसाद के शिकार हो रहे हैं। केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल, सिविल और लोकबंधु सहित अन्य अस्पतालों की ओपीडी में ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ गई है। डॉक्टर नींद पूरी करने और तनाव न लेने का सुझाव दे रहे हैं। केजीएमयू के मनोचिकित्सक ने 45 मिनट लगातार पढ़ाई के बाद 5 मिनट रुकने की सलाह दी है।
बलरामपुर अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अहलावत ने बताया कि परीक्षा के डर से बच्चे अवसाद में जा रहे हैं। इस तरह की परेशानी के 4 से 5 बच्चे प्रतिदिन ओपीडी में पहुंच रहे हैं। इन बच्चों की स्क्रीनिंग में चिंता, गुस्सा, सिर दर्द, निराशा, गुमसुम रहना और चिड़चिड़ेपन के लक्षण सामने आए हैं। पढ़ी हुई चीजें भूलने और नींद पूरी न होने की समस्या होती है।
केजीएमयू के मनोचिकित्सक प्रो. आदर्श त्रिपाठी बताया कि कोई भी कार्य करते समय हमारा पूरा फोकस दो बार कार्य पर ज्यादा होता है। पहला जब कार्य शुरू कर रहे होते हैं और दूसरा जब कार्य समाप्त कर रहे होते हैं। यही नियम पढ़ाई में भी लागू होता है। जब बच्चे पढ़ने बैठते हैं तो उनका फोकस पढ़ाई पर होता है, लेकिन धीरे-धीरे फोकस कम होता जाता है।
ऐसे में बच्चों को चाहिए की 45 मिनट की पढ़ाई के बाद 5 मिनट का ब्रेक लें। इस दौरान बॉडी को स्ट्रेच करें, खुली हवा में सांस लें। कुछ कदम टहल भी सकते हैं। इसके बाद फिर से पढ़ाई में जुट जाएं। ब्रेक के दौरान मोबाइल पर किसी से बात न करें, न ही रील देखें। फोन पर बात करने और रील या टीवी देखने से मन भटकता है और एकाग्रता भंग हो सकती है।
शांत माहौल में रहें, नींद पूरी लें, व्यायाम भी जरूरी
प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र पूरी नींद लें। इससे उनकी याददाश्त अच्छी होगी, जो पढ़ा होगा वह याद रहेगा। इसके अलावा शारीरिक व्यायाम भी एकाग्रता को बढ़ाने में कारगर है। जब परीक्षा की तैयारी कर रहे हों तो हमेशा शांत माहौल में रहें। माता- पिता भी इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों की एकाग्रता भंग न हो इसके लिए उन चीजों से बच्चों को दूर रखें।
किताबों से करें पढ़ाई, मोबाइल से बनाएं दूरी
प्रो.त्रिपाठी ने बताया कि मोबाइल बहुत ही जरूरी गैजेट है, जिसका इस्तेमाल बच्चे पढ़ाई के दौरान करते हैं। मोबाइल से बच्चों को पूरी तरह से अलग करना भी ठीक नहीं है। ऐसे में माता-पिता इस बात का ध्यान रखें की रात 8 बजे से पहले ही बच्चे मोबाइल पर पढ़ाई से संबंधित जानकारी हासिल करें। इसके बाद किताबों से ही पढ़ाई करें, तो बेहतर होगा।
अभिभावक यह न करें
- बच्चों पर हर समय पढ़ने व अधिक अंक लाने का दबाव न डालें
- पड़ोसी व रिश्तेदार के बच्चों के साथ अपने बच्चे की तुलना न करें।
- अवसाद के लक्षण दिखने पर बच्चे को अकेला न छोड़ें।
- बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, न कि हतोत्साहित।
यह अपनाएं
- तनाव को कम करने के लिए पूरी नींद लें।
- मन में नकारात्मकता के भावों को पनपने न दें
- योग करें और खेलें भी।
- सफल लोगों के बारे में जानें। उनकी संघर्ष की कहानी को पढ़ें।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- सिर दर्द, नींद न आना
- हर समय दबाव में रहना
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा करना
- घर के सदस्यों से बातचीत न करना
- किसी काम में मन न लगना
- भोजन न करना।
- चिंता और नकारात्मक विचार