Moradabad : निर्यातकों के सामने एक और संकट, आईईएस स्कीम बंद होने से उत्पादन हुआ महंगा

Moradabad : निर्यातकों के सामने एक और संकट, आईईएस स्कीम बंद होने से उत्पादन हुआ महंगा

अजय गुप्ता जिम्मी और आशुतोष शंखधार का फाइल फोटो।

मुरादाबाद, अमृत विचार। विश्व बाजार में मंदी की मार झेल रहे निर्यातकों के सामने एक और संकट गहरा गया है। सरकार से निर्यात ऋण पर मिलने वाली तीन फीसदी की छूट बंद कर दी गई है। निर्यात संगठनों ने केंद्रीय वित्त मंत्री से योजना को आगे भी लागू करने की मांग की है। निर्यातकों का कहना है कि उत्पादन महंगा होने से निर्यात में और गिरावट आने की आशंका है।

केंद्र सरकार द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग को निर्यात में बढ़ावा देने के लिए इंटरेस्ट इक्विलजेशन स्कीम (आईईएस) को लागू किया था। योजना के तहत निर्यातक को शिपमेंट भेजने से पहले तथा शिपमेंट के बाद निर्यात आर्डर पूरा करने के ऋण में तीन फीसदी की छूट दी जाती थी। गौरतलब है कि बैंकों में ऋण पर साढ़े सात से साढे आठ प्रतिशत तक ब्याज लिया जाता है। इसमें सरकार द्वारा निर्यातकों को तीन फीसदी का अनुदान दिया जाता था। वैश्विक मंदी का असर पीतल नगरी समेत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के निर्यातकों पर है। बीते तीन वर्षों से निर्यात में वृद्धि नहीं हो रही है।

वरिष्ठ निर्यातक सतपाल का कहना है कि 31 दिसंबर को सरकार ने आईईएस को बंद कर दिया है। वह कहते हैं कि स्कीम बंद होने का असर प्रोडक्शन कास्ट पर दिखाई देने लगा है। सीधे तौर पर उत्पादन तीन फीसदी तक महंगा हो गया है। वह बताते हैं कि वर्ष 2015 में स्कीम शुरू की गई थी जिससे निर्यातकों को आर्डर की पूर्ति करने में सुविधा होती थी। कच्चे माल की खरीद, प्रोसेसिंग शुल्क, मेन्युफैक्चरिंग और पैकिंग के लिए नौ महीने तक छूट मिलती थी। अब निर्यातों को अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता पड़ रही है।

लघु उद्योग भारती ने केंद्रीय कार्यालय के माध्यम से आईईएस का मुद्दा केंद्रीय वित्त मंत्री के सामने उठाया है। इस संबंध में सरकार को मांगपत्र देकर स्कीम को आगे बढ़ाने की मांग की गई है। विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा के चलते तीन प्रतिशत के कम मुनाफे पर आर्डर तैयार कराए जा रहे हैं। सरकार ने स्कीम को शुरू नहीं किया तो निर्यातकों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।- अजय गुप्ता जिम्मी, प्रदेश उपाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

छोटे व मध्यम निर्यातक अनुदान का कच्चा माल खरीदने में उपयोग करते थे। कम पूंजी में अधिक आर्डर तैयार होने लगे थे, लेकिन, सरकार ने बीच में इसे रोक दिया है। विश्व बाजार में मांग कम है और विदेशी ग्राहक सस्ते उत्पाद ही खरीद रहे हैं। स्कीम बंद होने से उत्पादन महंगा होने के साथ निर्यातक के सामने आर्थिक संकट भी बढ़ रहा है। विश्व बाजार में प्राइजवार चल रही है ऐसे में सरकार का सहयोग बेहद जरूरी है। - आशुतोष शंखधार, निर्यातक

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