खाली पड़ी D.Pharma की 57 हजार से अधिक सीटें, कॉलेजों पर छाया वित्तीय संकट
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लखनऊ, अमृत विचार: फार्मेसी पाठ़यक्रमों में प्रवेश के लिए चार चरणों की काउंसिलिंग पूरी हो चुकी है, लेकिन आधी सीटें भी नहीं भर पाई हैं। सीटें खाली रहने से फार्मेसी कॉलेजों के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। वर्ष 2023-24 में भी सीटें खाली रह गईं थीं।
प्रदेश में 2045 फार्मेसी कॉलेज हैं। इनमें सत्र 2024-25 के लिए डी फार्मा की 1 लाख 10 हजार 832 सीटों पर प्रवेश होना है।गत वर्ष जून में प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिसमें 1 लाख 12 हजार अभ्यर्थी योग्य पाए गए थे। फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया की तरफ से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्रक्रिया में विलंब के चलते और उसके बाद मामला न्यायालय में चला गया। जिससे छह माह बाद काउंसलिंग शुरू हो सकी। प्राविधिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत पॉलिटैक्निक कॉलेजों के माध्यम से दिसम्बर में काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू की गई। चार चरण की काउंसलिंग के बाद 52,865 सीट ही भर पाई हैं। दरअसल अपना वर्ष बचाने के लिए ज्यादातर अभ्यर्थियों ने अन्य प्रदेशों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश ले लिया है। इससे सीटें नहीं भर पा रही हैं। इसके पहले वर्ष 2023-24 में कॉलेज की मान्यता में विलंब के कारण भी काउंसिलिंग की प्रक्रिया देरी से शुरू हुई थी। जिस सीटें खाली रह गई थीं।
इस सत्र में डी.फार्मा में लगभग 50 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं। मुख्य कारण फार्मेसी कॉलेजों के मामले न्यायालय में चले गए थे। इसी कारण काउंसलिंग शुरू होने में देर हुई।
संजीव सिंह, सचिव, संयुक्त प्रवेश परीक्षा
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