तालाबंदी अवैध, कानपुर में एटक आज सौंपेगी श्रमायुक्त को ज्ञापन: 90 दिन पहले सरकार को सूचित नहीं किया

कानपुर, अमृत विचार। केएफसीएल के कर्मचरियों की लड़ाई लड़ रही एटक यूनियन के जिला मंत्री असित कुमार सिंह ने तालाबंदी को अवैध बताते हुए कहा कि प्रबंधन की इस मनमानी पर शनिवार को श्रमायुक्त से मिलकर ज्ञापन सौंपेंगे। बंदी की स्थिति पर कारखाना संचालक को 90 दिन पहले राज्य सरकार को सूचित करना चाहिए। यह कदम उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 का उल्लंघन है।
सेवायोजकों द्वारा उत्पादन ठप होने की सूरत में कर्मचारियों को ले-ऑफ का भुगतान करना होगा जो वेतन का आधा होता है। ले-ऑफ कम्पनसेशन एक्ट के अनुसार सेवायोजक यदि काम दे पाने में असमर्थ है तो आधा भुगतान करना होता है। ले-ऑफ की नोटिस लगानी चाहिए।
जेके कॉटन की तालाबंदी आई याद
केएफसीएल की तालाबंदी ने जेके कॉटन स्पिनिंग एंड वीविंग मिल्स की तालाबंदी याद दिला दी। मिल में 13 और 14 मई 1989 को उत्पादन हुआ था। लेकिन एटक के जिला मंत्री के अनुसार बिना कोई कारण बताए सेवायोजकों ने 14-15 मई की रात मिल में तालाबंदी कर दी थी। श्रमिक अशांति हुई थी।
कई हाथों में रहा फर्टिलाइजर कारखाना
कानपुर फर्टिलाइजर में बनने वाली चांद छाप यूरिया खाद बड़ा ब्रांड है। इंडियन केमिकल इंडस्ट्रीज द्वारा 1970 में स्थापित यह रसायनिक खाद कारखाना आईईएल फिर आसीआई के नाम से जाना गया। 1993 में इसे डंकन ग्रुप ने खरीद लिया था। लेकिन घाटा बर्दाश्त न कर पाने के कारण 6 जून 2010 को कारखाना जेपी ग्रुप ने खरीद लिया। उस समय प्रदेश में मायावती की सरकार थी और जेपी ग्रुप फलफूल रहा था। कारखाने का स्वामित्व जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड के पास था जो बाद में सहायक कंपनी उत्तर भारत विकास लिमिटेड की इकाई बन गया। आर्थिक संकट से जूझ रहे केएफसीएल को अंततोगत्वा मालिकों को बंद करना पड़ा।