Kanpur: हैलट में बनी प्लास्टिक सर्जरी यूनिट, सर्जन नियुक्त, अब मुंह के कैंसर रोगियों की जटिलताएं होंगी आसान
कानपुर, अमृत विचार। मुंह के कैंसर या अन्य किसी कारण से चेहरा खराब होने पर अब लखनऊ, दिल्ली या मुंबई दौड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। निजी अस्पतालों में प्लास्टिक सर्जरी के लिए लाखों रुपये भी नहीं खर्च करने होंगे। हैलट अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी की अलग से यूनिट बनाकर प्लास्टिक सर्जन की नियुक्ति कर दी गई है। अब यहां दो प्लास्टिक सर्जन हो गए हैं।
कैंसर के मरीजों के लिए शहर में जेके कैंसर संस्थान बना है, लेकिन अधिकांश मरीज इलाज के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल पहुंचते है। यहां पर स्तन कैंसर, मुंह के कैंसर से लेकर अन्य अंगों में हुए कैंसर का इलाज आधुनिक विधि से किया जाता है। लेकिन अक्सर मुंह के कैंसर की बीमारी से ग्रस्त मरीजों की सर्जरी के बाद चेहरे से निशान नहीं जाते हैं।
इससे चेहरा देखने में अटपटा और खराब लगता है। मरीजों की सर्जरी के बाद इसी समस्या के समाधान के लिए हैलट में प्लास्टिक सर्जरी यूनिट का निर्माण कराया गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.संजय काला के मुताबिक सर्जरी विभाग में एक और प्लास्टिक सर्जन की नियुक्ति हो गई है।
वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रेम शंकर को मिलाकर अब दो प्लास्टिक सर्जन हो गए हैं। प्लास्टिक सर्जरी यूनिट बर्न वार्ड में स्थापित की गई है। विभाग में अभी ब्रेस्ट कैंसर में रिकॉस्ट्रिक्टिव सर्जरी हो रही थी, लेकिन अब मुंह के कैंसर के मरीजों को भी इसका लाभ मिलेगा।
अभी ऐसी की जाती है सर्जरी
वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रेम शंकर के मुताबिक अभी सर्जरी में मांस का टुकड़ा ऊपर से चिपकाया जाता है। पहले मुख कैंसर के रोगियों को पीएमएमसी फ्लैप लगाया जाता था, इसके लिए छाती का मांस निकाला जाता था। इसके अलावा माथे का मांस फ्लैप निकालकर सर्जरी की जाती थी। लेकिन अब जांघ का मांस निकालकर एएलटी फ्लैप लगाया जाता है। इसमें गाल की तरह चर्बी भी होती है। इसके साथ ही नर्व, नसें, टिश्यू आदि रहते हैं।
मांस के साथ करते पैर की फैबुल हड्डी प्रत्यारोपित
अगर किसी कैंसर मरीज की गाल की पर्त पतली होती है तो उसके लिए बाएं हाथ से रेडियल फ्लैप लिया जाता है। यदि रोगी का जबड़ा काटना पड़ता है तो उसके लिए पैर से फैबुला फ्लैप लिया जाता है। मांस के साथ पैर की फैबुल हड्डी को भी प्रत्यारोपित किया जाता है।