हल्द्वानी: जीएसटी पोर्टल से सात साल से पुराना डाटा होगा गायब

हल्द्वानी: जीएसटी पोर्टल से सात साल से पुराना डाटा होगा गायब

हल्द्वानी, अमृत विचार। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पोर्टल में सात साल से पुराना अपलोड डाटा खुद ब खुद गायब हो जाएगा। एक अक्टूबर से वित्तीय वर्ष 2017-18 का डाटा पोर्टल पर नहीं दिखाई देगा। फिर भी यदि किसी को डाटा की जरूरत है तो 30 सितंबर तक डाउनलोड कर सकते हैं।  

राज्य कर अधिकारियों के अनुसार,हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने ब्योरा जारी कर बताया कि एक अक्टूबर से जीएसटी पोर्टल पर सात साल से अधिक पुराना डाटा नहीं दिखाई देगा। पेशेवर, व्यापारी जिनको डाटा की जरूरत है 30 सितंबर तक डाउन लोड कर सकते हैं।

एक अक्टूबर के बाद यह डाटा पोर्टल से गायब हो जाएगा। इसके बाद से सीए,सीएस, सेल्स टैक्स अधिवक्ता, जीएसटी सहायकों में खलबली मच गई है। सभी अपना-अपना डाटा डाउन लोड करने में जुट गए हैं। 

दरअसल, जीएसटी पोर्टल पर देश भर के रिटर्न ऑनलाइन दिखाई देते हैं। हर साल लाखों नए पंजीयन और रिटर्न जमा हो रहे हैं। 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू हुआ था, तब से लेकर अब तक के सभी रिटर्न पोर्टल पर दिखाई देते हैं। ऐसे में जीएसटी पोर्टल पर लोड बढ़ता ही जा रहा है। इसकी वजह से पोर्टल के हैंग व स्लो प्रोसेसिंग की शिकायतें मिलती हैं। इसको देखते हुए जीएसटी पोर्टल से सात साल से पुराने डाटा को हटाया जा रहा है। पोर्टल पर पुराना डाटा 1 अक्टूबर के बाद करदाताओं को ऑनलाइन पोर्टल पर दिखाई नहीं देगा।

अपना डाटा डाउनलोड कर लें करदाता

राज्य कर अधिकारियों के अनुसार, भविष्य में किसी भी संदर्भ के लिए यदि आवश्यक हो, तो जीएसटी पोर्टल से अपना प्रासंगिक डाटा डाउनलोड कर लें। 1 अक्टूबर, 2023 से लागू सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 39 (11) के तहत 31 जुलाई, 2023 की केंद्रीय कर तिथि में प्रावधान है कि करदाताओं को उक्त रिटर्न प्रस्तुत करने की नियत तारीख से तीन वर्ष की अवधि समाप्त होने के बाद जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

जीएसटी पोर्टल पर सात साल से पुराना डाटा हटाया जा रहा है। 1 अक्टूबर से वित्तीय वर्ष 2017-18 का डाटा नहीं मिलेगा इसलिए सभी अधिवक्ता, सीए, करदाता वगैहर जिनकी स्क्रूटनी, वाद लंबित है तो डाटा डाउनलोड कर लें। इसकी अंतिम तिथि 30 सितंबर है। सभी से अपील है कि डाटा को नियमित रूप से डाउनलोड कर सेव करने की आदत बना लें ताकि भविष्य में दिक्कत नहीं हो। 
= सुमित गुप्ता, अधिवक्ता जीएसटी, हल्द्वानी

 

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