सैनिकों का खराब प्रशिक्षण बन रहा है पूर्वी मोर्चे पर यूक्रेनी क्षेत्र के नुकसान का कारण! 

सैनिकों का खराब प्रशिक्षण बन रहा है पूर्वी मोर्चे पर यूक्रेनी क्षेत्र के नुकसान का कारण! 

कीव। कुछ नए सैनिकों का दुश्मन पर गोली चलाने से इनकार, हथियारों को कल-पुर्जों की मदद से उचित तरीके से तैयार करने में मुश्किल या युद्ध के लिए आवश्यक बुनियादी समन्वय की कमी और कुछ सैनिकों का तो युद्ध के मैदान को पूरी तरह से छोड़ देना.... यह सब कुछ ऐसे कारण सामने आए हैं जो यूक्रेन के लिए उसके पूर्वी क्षेत्र में नुकसान की वजह बन रहे हैं। यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध में कुछ यूक्रेनी कमांडर और सहयोगी सैनिकों से हुई बातचीत में यह बात सामने आई है।

यूक्रेन रूस के कुर्स्क क्षेत्र में अपनी घुसपैठ बढ़ाने पर जोर दे रहा है। लेकिन, उसके सैनिक अभी भी देश के पूर्वी मोर्चे के समीप महत्वपूर्ण जमीन खो रहे हैं। यह एक गंभीर नुकसान है और सैन्य कमांडरों का कहना है कि यह स्थिति हाल ही में लोगों को लामबंद करने के लिए अभियान के दौरान खराब तौर से प्रशिक्षित भर्तियों के कारण है। दूसरा कारण, गोला-बारूद और वायु शक्ति में रूस की स्पष्ट श्रेष्ठता भी है।

 यूक्रेन की 47 वीं ब्रिगेड में एक निराश बटालियन कमांडर ने कहा, ‘‘कुछ लोग गोली नहीं मारना चाहते हैं। वे खाइयों में दुश्मन को मार गिराने की स्थिति में होते हैं लेकिन फिर भी गोली नहीं चलाते हैं। ... यही कारण है कि हमारे लोग मर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब वे हथियार का उपयोग ही नहीं करेंगे तो वह हमारे किस काम के हैं।’’ यह जानकारी उन कमांडरों और सैनिकों से सामने आई है जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर ‘एसोसिएटेड प्रेस’ से बात की ताकि संवेदनशील सैन्य मामलों के बारे में स्वतंत्र रूप से बात की जा सके। दूसरों ने इस शर्त पर बात की कि उन्हें केवल यूक्रेनी सैन्य प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए उनके परिचय संकेतों से पहचाना जाए।

 कमांडरों का कहना है कि रंगरूटों की वजह से क्षेत्र में नुकसान हुआ है और इससे रूसी सेना को आगे बढ़ने में मदद मिली और यही कारण है वे पोक्रोव्स्क शहर के निकट आ गए हैं जो कि एक महत्वपूर्ण केंद्र है। उनके मुताबिक यदि यह हाथ से निकल जाता है तो हार यूक्रेन की सुरक्षा को खतरे में डाल देगी और रूस को डोनेट्स्क क्षेत्र पर कब्जा करने के अपने घोषित उद्देश्य के करीब लाएगी। रूसी सैनिक अब सिर्फ 10 किलोमीटर (6.2 मील) दूर हैं। यूक्रेन की चिंता यह है कि रूस के पास मानव बल का भारी लाभ है और वह छोटे उद्देश्यों को हासिल करने के लिए होने वाले तात्कालिक नुकसान से भी घबराता नहीं है। हाल ही में भर्ती किए गए यूक्रेनी सैनिक उन प्रशिक्षित सैनिकों के सामने कहीं नहीं टिकते जो पहले वर्ष में युद्ध में शामिल हुए थे। 

पोक्रोव्स्क क्षेत्र की रक्षा करने वाले चार ब्रिगेड के कमांडरों और सैनिकों ने कहा कि नए सैनिकों में प्रशिक्षण का न्यूनतम स्तर भी नहीं है। उन्होंने पैदल सेना के साथ संचालन की योजना बनाने का वर्णन किया और बताया कि वे लक्ष्य को भेदने में असमर्थ दिखे और क्षेत्र की बुनियादी प्रकृति से भी अनजान थे। कुछ रंगरूटों को अपने वरिष्ठों की युद्ध योजनाओं में विश्वास नहीं था और वे युद्ध क्षेत्र से लौट गए।

कई कमांडरों और सैनिकों ने कहा कि क्षेत्रीय भर्ती केंद्रों द्वारा अग्रिम पंक्ति में भेजे गए नए सैनिकों की गुणवत्ता से निराश कमांडर अब नए लड़ाकों को बेहतर तरीके से प्रशिक्षित करने के लिए स्वयं से भर्ती अभियान चलाने की मांग कर रहे हैं। 110 वीं ब्रिगेड के एक सैनिक ने कहा, ‘‘मुख्य समस्या नए लोगों के अपने अस्तित्व की चिंता है। इससे पहले, लोग अंतिम क्षण तक डटे रहते थे। अब, यहां तक कि जब हल्की गोलाबारी भी होती है, तब भी वे पीछे हट रहे हैं।’’ 

उन्होंने कहा कि हर कोई पीछे नहीं मुड़ नहीं रहा है और लड़ाई से भाग नहीं रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, कुछ डटे रहने वाले लोग हैं लेकिन वे बहुत कम हैं। जब तक ऐसे प्रतिबद्ध लोग हैं, तब तक मैदान में हम डटे हुए हैं।’’ मई में एक विवादास्पद भर्ती कानून के कार्यान्वयन के बाद यूक्रेन कथित तौर पर प्रति माह हजारों सैनिकों को तैयार कर रहा है। सबसे अधिक मांग पैदल सेना में अधिक है। लेकिन इतने सारे आने वाले लोगों को प्रशिक्षित करने, हथियारों से लैस करने और वेतन उपलब्ध करने के लिए तार्किक बाधाएं हैं और कमांडर लगातार नए सैनिकों की मांग करते हैं। इस दबाव को कम करने के लिए, सैन्य नेताओं को एक क्षेत्र में ब्रिगेड से इकाइयों को लेना पड़ता है और कमजोर स्थानों को स्थिर करने के लिए उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में स्थानांतरित करना पड़ता है। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कमांडरों पर ही उंगली उठाते हैं जो नुकसान के लिए हाल ही में भर्ती हुए रंगरूटों को जिम्मेदार ठहराते हैं। 

यूक्रेन स्थित ‘सेंटर फॉर डिफेंस स्ट्रैटेजीज’ थिंक टैंक के एक सैन्य विशेषज्ञ विक्टर केवलियुक ने कहा कि रंगरूटों को दिया जाने वाला प्रशिक्षण पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि ब्रिगेड कमांडर ‘सामरिक विफलताओं के लिए बहाने की तलाश कर रहे हैं’। उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, ब्रिगेड कमांडर के पास मनोबल को प्रभावित करने के लिए उपयुक्त उपकरण हैं। यदि ब्रिगेड में ये सभी प्रक्रियाएं स्थापित हो जाती हैं तो कोई महत्वपूर्ण समस्या नहीं होगी। यदि ये तंत्र विफल हो जाते हैं तो हम इस प्रकार की बातें सुनते हैं।’’ केवलियुक ने कहा कि पोक्रोव्स्क में में जो हुआ वह ‘कमांडरों द्वारा समय पर लिया गया सामरिक निर्णय हैं जो अंतर बनाते हैं।’’ हालांकि कुछ उदाहरण भी आए है जिनमें भयभीत नए रंगरूट लड़ाई से भाग गए हैं। 

47वीं ब्रिगेड के बटालियन कमांडर ने कहा, ‘‘यह डर, दहशत और अफरातफरी पैदा करता है। यही कारण है कि हम हारे हैं।’’ कमांडरों ने कहा कि पोक्रोव्स्क क्षेत्र में पिछले महीने प्रोहेरेस गांव का नुकसान क्षेत्रीय नुकसान का सबसे हालिया उदाहरण है, जिसके लिए नई भर्तियों को दोषी ठहराया गया है। 31वीं ब्रिगेड की इकाइयां खराब स्थिति में थीं, जिसके चलते 47वीं ब्रिगेड को लड़ाई में प्रवेश करना पड़ा। इसी तरह का परिदृश्य मई में ओचेरेटाइन गांव में सामने आया। बटालियन कमांडर ने कहा कि नवागंतुकों को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त काम नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें हमारी कार्रवाई (लड़ाकू) के लिए जरूरी न्यूनतम स्तर का प्रशिक्षण भी नहीं मिलता है।’’ 

उन्होंने कहा कि नए लोगों के पास कलपुर्जों की मदद से अपनी राइफलों को एसेम्बल करने और बंदूक चलाने का पर्याप्त अभ्यास नहीं है। उन्होंने यह भी नहीं सीखा है कि छोटे समूहों में युद्ध कार्यों का समन्वय कैसे किया जाए या सरल रणनीति का उपयोग कैसे किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘कमांड पॉइंट से, मैं छोटे समूहों (पैदल सेना) को आदेश जारी करना चाहूंगा, लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि वे इन आदेशों को लागू करने में सक्षम हैं क्योंकि उनमें समन्वय और संचार की कमी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभी तो लगता है कि मैं खुद को ही गोली मार लूं।’’ रूस में यूक्रेन के अचानक प्रवेश ने शुरू में उम्मीद जताई कि क्रेमलिन को जवाब देने के लिए अपने सैन्य संसाधनों को विभाजित करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। लेकिन अभी तक, रूसी सेना पोक्रोव्स्क और अन्य संभावित विजय की ओर बढ़ने में नहीं डगमगाई है।

 इस बीच, रूसी क्षेत्र में यूक्रेन के आगे बढ़ने की प्रगति दो सप्ताह के बाद धीमी हो गई है, जिससे उसे केवल छोटे मोटे लाभ हो रहे हैं। यह एक संभावित संकेत है कि मास्को अधिक प्रभावी ढंग से जवाबी हमला कर रहा है। पूर्व में कमांडर बताते हैं कि घुसपैठ के बाद से लड़ाई केवल तेज हो गई है।

स्थानीय अधिकारियों ने सोमवार को पोक्रोव्स्क के लगभग 53,000 निवासियों को दो सप्ताह के भीतर खाली करने का आदेश दिया। पोक्रोव्स्क पर कब्जा डोनेट्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी आपूर्ति मार्गों को कमजोर करेगा और स्लोवियास्क और कोस्टियंटिनिवका के पूर्वी शहरों में रूस के आगे की राह को आसान करेगा। यह महीनों की दर्दनाक लड़ाई के बाद रूस की पहली बड़ी रणनीतिक जीत को भी चिह्नित करेगा। 

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