बरेली: एंटीजन टेस्ट पर उठने लगे सवाल, निकल रहे ज्यादा संक्रमित

बरेली, अमृत विचार। कोरोना एंटीजन किट से की जा रही जांच पर विशेषज्ञ सवाल उठाने लगे हैं। दरअसल, आरटीपीसीआर यानी रियल टाइम पॉलिमरेज चेन रिएक्शन की जांच में एक फीसदी से कम तो एंटीजन की जांच में करीब दस फीसदी तक संक्रमित मिल रहे हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगे कि एंटीजन जांच कितनी …
बरेली, अमृत विचार। कोरोना एंटीजन किट से की जा रही जांच पर विशेषज्ञ सवाल उठाने लगे हैं। दरअसल, आरटीपीसीआर यानी रियल टाइम पॉलिमरेज चेन रिएक्शन की जांच में एक फीसदी से कम तो एंटीजन की जांच में करीब दस फीसदी तक संक्रमित मिल रहे हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगे कि एंटीजन जांच कितनी विश्वसनीय है।
चिकित्सकों के मुताबिक आरटीपीसीआर से सटीक नतीजा मिलता है, जबकि एंटीजन टेस्ट सिर्फ कोरोना की संभावना बताता है। इसलिए एंटीजन टेस्ट में संक्रमित मिलने पर आरटीपीसीआर कराना जरूरी है। हालांकि ऐसा हो नहीं रहा है। संक्रमण की रफ्तार भी इसी वजह से बढ़ रही है।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक हफ्ते भर के आंकड़ों पर गौर करें तो हर दिन तीन से चार गुना तक का अंतर दर्ज हो रहा है। कोरोना संक्रमण काल की शुरूआत से ही वायरस की चाल पर नजर रखने वाले चिकित्सकों से बात की गई, तो उनके मुताबिक एंटीजन टेस्ट कन्फर्मेटिव नहीं, बल्कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया है। इसमें पॉजिटिव या निगेटिव मिलने पर संबंधित संदिग्ध के सैंपल की जांच आरटीपीसीआर से करानी चाहिए। ताकि कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो सके।
वहीं, आशंका जताई कि बरेली में एंटीजन से पॉजिटिव मिले संक्रमितों का कन्फर्मेटिव टेस्ट नहीं कराया जा रहा है। लिहाजा संदिग्धों को भी संक्रमित के आंकड़ों में दर्ज किया जा रहा है। यही वजह है संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। बीते दिनों एंटीजन किट जांच में फेल हो गई थी।
कोरोना से मिलते-जुलते वायरस का अटैक होने पर भी रिजल्ट पॉजिटिव
कोविड चिकित्सालय के सीएमएस एवं वरिष्ठ फिजिशियन डा. वागीश वैश्य के मुताबिक एंटीजन टेस्ट और आरटीपीसीआर दोनों की जांच पद्धति अलग है। एंटीजन टेस्ट सिर्फ कोरोना ही नही, बल्कि कोरोना से मिलते-जुलते दूसरे वायरस की मौजूदगी पर भी रिजल्ट पॉजिटिव बताता है। एक निर्धारित संख्या में मिले संक्रमितों में कोरोना संक्रमित भी हो सकता है, मगर सभी कोरोना संक्रमित हों यह जरूरी नहीं। इसलिए कंफर्मेटिव यानी आरटीपीसीआर जांच की जानी जरूरी है। ताकि कौन संक्रमित है, इसका सटीक पता लगाया जा सके।
एंटीजन से जांच में पॉजिटिव ही ज्यादा मिलेंगे
राष्ट्रीय संक्रामक रोग चैप्टर के अध्यक्ष रहे डॉ. अतुल अग्रवाल एंटीजन टेस्ट को तेजी से संक्रमण का पता करने का बेहतर साधन तो मानते हैं, लेकिन इसके साथ ही कन्फर्मेटिव जांच कराने को बेहद जरूरी बताते हैं। उनके मुताबिक, एंटीजन की जांच में पॉजिटिव की तादाद ज्यादा ही मिलेगी और उन्हें संक्रमित माना जाएगा तो संक्रमण का ग्राफ बढ़ना तय है। यह महज स्क्रीनिंग की तरह है क्योंकि अगर एंटीजन जांच में कोई पॉजिटिव आता है तो संक्रमित नहीं है, यह नहीं कहा जा सकता है और संक्रमित है इसमें भी संदेह रहता है। इसलिए आरटीपीसीआर की जांच कराना बेहद जरूरी है।
सीमित संसाधन में कन्फर्मेटिव जांच कराने में भी अड़चनें
चिकित्सकों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग के पास संसाधन सीमित हैं। एंटीजन और आरटीपीसीआर मिलाकर तीन हजार के आसपास जांचें हो रही हैं। जिले में आईवीआरआई में ही आरटीपीसीआर जांच हो रही है, जबकि एंटीजन जांच हर कहीं की जा रही है। आईवीआरआई की लैब में तीन हजार से ज्यादा जांच करना बेहद कठिन है। एंटीजन की जांच में मिल रही पॉजिटिव रिपोर्ट में संदिग्ध और कन्फर्मेटिव दोनों ही संक्रमित शामिल हैं। ऐसे में अगर पॉजिटिव रिपोर्ट आती है और कन्फर्मेटिव न होने पर भी संबंधित व्यक्ति को करीब सात से दस दिन तक आइसोलेशन में रहना चाहिए।