प्रयागराज : हजारों वर्ष से दलित वर्ग का इतिहास रहा है समृद्ध: पुरी शंकराचार्य
झूंसी प्रयागराज, अमृत विचार। पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने छह दिवसीय प्रवास के दौरान बृहस्पतिवार को झूंसी के शिवगंगा आश्रम में भक्तों को रामचरित मानस की चौपाइयों के साथ विभिन्न धार्मिक विषयों पर बात की। भक्तों से कहा कि बिना भक्ति के भगवान का मिलना संभव नहीं है। उन्होंने देश में लगातार दलितों के नाम पर हो रही रही राजनीति पर चिंता जताई।
एक भक्त ने पुरी शंकराचार्य से सवाल किया कि कुछ स्वार्थ लोगों के बहकावे में आने के कारण दलित वर्ग समाज की मुख्य धारा से दूर होता जा रहा है। इसके जवाब में पुरी शंकराचार्य ने कहा कि हजारों वर्ष पूर्व भी इस दलित वर्ग का इतिहास समृद्ध रहा है। काशी में अगर ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों का ही वर्चस्व होता तो राजा हरिश्चंद्र को खरीदने की क्षमता डोम राजा में कहां से आ जाती।
महात्मा गांधी ने इस समाज को हरि का जन यानी हरिजन नामकरण किया लेकिन वोट की राजनीति में समाज को साधने के लिए इसे दलित का नाम दे दिया गया। समयांतर में स्वार्थ सिद्धि के लिए इस समाज को विकृत किया जा रहा है। इस मौके पर शंकराचार्य के निजी सचिव निर्विकल्पानंद ब्रह्मचारी, प्रफुल्ल ब्रह्मचारी,हृषिकेश ब्रह्मचारी, रामकैलाश पांडेय, अशोक शुक्ला, नरेंद्रदेव त्रिपाठी, उमेश शुक्ला, केएन पांडेय, पवन, आयुष सिंह आदि मौजूद रहे।
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