हल्द्वानी: Dजिटल युग में STH में Billing प्रक्रिया पुराने जमाने की...घोटाले के बावजूद कोई ध्यान नहीं...

हल्द्वानी: Dजिटल युग में STH में Billing प्रक्रिया पुराने जमाने की...घोटाले के बावजूद कोई ध्यान नहीं...

हल्द्वानी, अमृत विचार। डिजिटल युग में डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय (एसटीएच) में बिल बनाने का काम हाथ से हो रहा है। इसी वजह से बीते मार्च में बिल बनाने के मामले में लाखों रुपये का घोटाला सामने आया था। हैरानी की बात है कि अभी भी अस्पताल में हाथ से ही बिल बनाने का काम हो रहा है।

सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में बिल बनाने का काम डिजिटल तरीके से होता है। इससे वहां पूरी तरह से पारदर्शिता बनी रहती है। दूसरी ओर एसटीएच में ऐसा नहीं है। यह कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां आईपीडी में करीब 300 से 400 मरीज भर्ती रहते हैं और ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 1200 मरीज पहुंचते हैं।

जब अस्पताल में मैन्युअल तरीके से बिल बनाने में घोटाला सामने आया था तब अस्पताल में फिर से मांग उठी थी कि अस्पताल में बिलिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल किया जाना चाहिए। हालांकि, इसमें सबसे बड़ी दिक्कत है कि अस्पताल का इंफार्मेशन सिस्टम काफी पुराना हो चुका है। जिस वजह से इस पर दबाव ज्यादा रहता है। काम की वजह से अतिरिक्त दबाव न पड़े, इसलिए बिलिंग प्रक्रिया को मैन्युअल किया गया था।

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बिलिंग प्रक्रिया को डिजिटल बनाने के लिए काम किया जा रहा है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसके लिए बहीखाता, बिलिंग और आईटी सेक्शन में काम करना होगा। इन तीनों सेक्शन में समन्यवय बनाने के बाद ही काम हो पाएगा। साथ ही अब तक के सभी रिकॉर्ड को भी ऑनलाइन दर्ज करना होगा। जिसमें अस्पताल प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। 

1.80 लाख रसीदों की करनी पड़ी थी जांच
मार्च माह में जब घोटाला सामने आया था तब जांच करने वाली टीम को 1.80 लाख बिलों की रसीदों की जांच करनी पड़ी थी। अस्पताल जब बनाया गया था तब अस्पताल में मरीज कम थे, साथ ही उस समय डिजिटल तरीके से बिलिंग करने का उतना चलन था। बाद में अन्य सरकारी अस्पतालों में डिजिटल बिलिंग की व्यवस्था कर दी गई, लेकिन एसटीएच में ऐसा नहीं हुआ। 

एसटीएच में बिलिंग प्रक्रिया को डिजिटल करने के लिए काम शुरू किया गया है। तीन सेक्शनों को काम पर लगा दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द की काम शुरू हो जाएगा।
-डॉ. अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी

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