Kanpur: डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व तनाव से बढ़ रहे किडनी के रोगी; इन लक्षणों से करें बीमारी की पहचान...

Kanpur: डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व तनाव से बढ़ रहे किडनी के रोगी; इन लक्षणों से करें बीमारी की पहचान...

कानपुर, अमृत विचार। डायबिटीज (मधुमेह) मेटाबॉलिज्म से जुड़ी एक समस्या है, जिसमें मरीज का ब्लड ग्लूकोज लेबल बढ़ जाता है। डायबिटीज का असर शरीर के कई अंगों पर पड़ता है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या एक-दूसरे से जुड़ी रहती है। 

अधिकांश शुगर के मरीज उच्च रक्तचाप से भी पीड़ित मिलते हैं, जिसका असर किडनी पर पड़ता है, ऐसे में ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना जरूरी है। यह जानकारी नेफ्रोलॉजिस्ट व किडनी प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. अनिल प्रसाद भट्ट ने दी। 

अनियमित जीवनशैली व खराब खान-पान का असर शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है। इससे किडनी पर भी अधिक जोर पड़ता है, जिस वजह से भारत में प्रतिवर्ष 12 हजार से अधिक किडनी प्रत्यारोपण हो रहे हैं। जब डायलिसिस और दवा का असर कम हो जाता है, तब किडनी प्रत्यारोपण ही एक मात्र उपाय होता है, जिससे मरीज को एक नई जिंदगी मिलती है। 

हर्ष नगर स्थित एक होटल में नोएडा के जेपी हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक डॉ.अनिल प्रसाद भट्ट ने बताया कि वह वर्ष 2015 से अब तक एक हजार से अधिक किडनी प्रत्यारोपण कर चुके हैं, जिनमें तीन सौ अंतर्राष्ट्रीय केस शामिल हैं। 

हॉस्पिटल में किडनी प्रत्यारोपण अत्याधुनिक पद्धति से किया जा रहा है। इस पद्धति में किडनी दाता (डोनर) की किडनी को दूरबीन द्वारा शरीर से हटाया जाता है, जिसका सबसे अधिक लाभ यह होता है कि दाता (डोनर) को कम तकलीफ होती है और जल्द छुट्टी भी मिलती है। 

यहां डोनर विथ मल्टीपल वैसल्स (किडनी से अधिक नसों का होना), बच्चों की किडनी का प्रत्यारोपण, अनमैच्ड ब्लड ग्रुप के बीच प्रत्यारोपण व रोग प्रतिरोधक क्षमता में असंतुलन वाले मरीजों की किडनी का भी सफल प्रत्यारोपण किया गया है। किडनी में प्रोटीन लीक होना, इंफेक्शन और बार-बार पथरी होने की समस्या से भी लोग ग्रस्त हो रहे है। कानपुर की बात करे तो करीब 42 प्रतिशत लोग किडनी की बीमारी से ग्रस्त है। 

बेवजह पेन किलर, विटामिन व कैल्शियम की दवा खतरनाक 

डॉ.अनिल प्रसाद भट्ट ने बताया कि कई बार लोग हल्का सिर दर्द, हाथ-पांव में दर्द आदि वजहों से बिना डॉक्टर की सलाह पर पेन किलर खाते है, जिसका किडनी पर असर पड़ता है। वहीं, बेवजह विटामिन, कैल्शियम, फाइबर, आयरन व प्रोटीन की दवा के सेवन से किडनी फेल के चांस बढ़ जाते हैं। 

तब सिर्फ किडनी प्रत्यारोपण ही आखिरी विकल्प होता है। बताया कि जितना खर्च मरीज को एक साल में डायलिसिस कराने में खर्च करने पड़ते हैं, उतने ही रुपये में एक बार किडनी प्रत्यारोपण कराकर मरीज को रोग से मुक्ति मिल जाती है। 

ये हैं मुख्य कारण 

तेजी से शुगर बढ़ना, उच्च रक्तचाप, शराब का अत्यधिक सेवन, दूषित खान-पान, अनियमित दिनचर्या व अत्यधिक तनाव की स्थिति।

ये हैं मुख्य लक्षण

-हाथ-पैरों और शरीर में सूजन।
-सांस फूलना
-भूख न लगना
-वजन बढ़ना
-कमजोरी व थकान
-उल्टी और जी मिचलाना
-पेशाब में प्रोटीन निकलना

किडनी की समस्या बढ़ने के पांच चरण

पहला चरण: किडनी ठीक से फिल्टर करना बंद कर देती है।
दूसरा चरण: यूरिन में प्रोटीन की मात्रा अधिक आने लगती है।
तीसरा चरण: क्रेटनिन बढ़ने लगता है, ब्लड टेस्ट में यूरिया ज्यादा आना व शरीर में खुजली होने लगती है।
चौथा चरण: क्रेटनिन बढ़कर 2-4 हो जाता है। ऐसे में असावधानी मरीज को डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की स्टेज में पहुंचा सकती है।
पांचवां चरण: इसमें क्रेटनिन 4-5 या उससे ज्यादा हो जाता है। फिर मरीज के लिए डायलिसिस या ट्रांसप्लांट ही उपाय बचता है।

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