आजादी के बाद पहली बार सन्नाटे में गुजरा रामपुर का लोकसभा चुनाव

आजादी के बाद पहली बार सन्नाटे में गुजरा रामपुर का लोकसभा चुनाव

सुहेल जैदी, रामपुर, अमृत विचार। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीट पर आजादी के बाद लोकसभा चुनाव सन्नाटे में गुजर गया। यह पहला चुनाव है जिसमें नूरमहल और आजम खां की प्रतिष्ठा दांव पर नहीं है। वर्ष 1952 में देश में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था और रामपुर से देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने चुनाव लड़ा था। उनके मुकाबले पर हिन्द मजदूर महासभा के बिशन चंद सेठ थे। 

मौलाना अबुल कलाम आजाद ने बिश्यान चंद सेठ को 34753 वोट से शिकस्त दी थी। मौलाना का चुनाव रामपुर के नवाब रजा अली खां ने पूरी शिद्दत से लड़ाया था और मौलाना ने जीत दर्ज कर ली थी। बताते हैं कि पहला चुनाव ही रामपुर नवाब के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था। लेकिन, वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव सूना-सूना ही गुजर चुका है।

रामपुर के लोकसभा चुनाव पर देश-दुनिया की नजर रहती है। वयोवृद्ध प्रसिद्ध रंगकर्मी महेंद्र सक्सेना बताते हैं कि पहले चुनाव में बहुत शोर था। बिशन चंद सेठ ने सस्ते के जमाने में पैसा पानी की तरह बहाया था। जबकि, मौलाना अबुल कलाम आजाद पूरे चुनाव में केवल तीन बार आए। एक बार नामांकन कराया, एक बार जीत का प्रमाण पत्र लिया और एक बार नेहरू पार्क मात्र एक जनसभा को संबोधित किया था। 

लेकिन, इस बार चुनाव के दौरान भाजपा के बड़े नेताओं के अलावा अखिलेश यादव, शिवपाल यादव या बहन मायावती अपने प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार करने एक बार भी नहीं आए। सपा के फायर ब्रांड नेता आजम खां सीतापुर जेल में दो जन्म प्रमाण पत्रों के मामले में सात साल की सजा काट रहे हैं। 24 मार्च को उनसे मिलने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहुंचे थे। 

आजम खां ने अखिलेश यादव को रामपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का सुझाव दिया था। लेकिन, अखिलेश यादव ने नहीं माने। बल्कि आनन-फानन में दिल्ली से पार्लियामेंट की मस्जिद के इमाम मोहिब्बुल्लाह नदवी को चुनाव मैदान में उतार दिया। मौलाना को आजम समर्थकों का विरोध भी झेलना पड़ा। बहन मायावती ने नये चेहरे जीशान खां पर दांव लगाया लेकिन, एक बार भी चुनाव प्रचार के लिए रामपुर नहीं आईं। बल्कि, पड़ोसी जनपद मुरादाबाद में जनसभा करके संगठन के लोगों से चुनाव लड़ाने का आह्वान किया। 

बसपा प्रत्याशी के जुलूसों में आजम खां जिन्दाबाद के नारे भी गूंजे। इस चुनाव में पहली बार आजम खां के नहीं होने से लोगों आजम खां की शोला बयां तकरीरें सुनने को नहीं मिलीं। सपा  और बसपा के प्रत्याशी अपने बलबूते चुनाव लड़े। जबकि, भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना समेत संगठन ने पूरी ताकत झोंक दी। 

रामपुर मुस्लिम बाहुल्य जिला है यहां पहली बार मुस्लिम मतदाता भी असमंजस में हैं कि बटन किस प्रत्याशी के पक्ष में दबाए। हालांकि, सभी प्रत्याशी अपने-अपने आंकड़ों से जीत के दावे कर रहे हैं। रामपुर लोकसभा सीट पर अधिक समय तक नूरमहल का ही वर्चस्व रहा है। सपा-कांग्रेस गठबंधन धर्म निभाते हुए पूर्व सांसद बेगम नूरबानो लोकसभा चुनाव नहीं लड़ीं। जबकि राजनैतिक पंडितों का कहना है कि इस बार बेगम नूरबानो यदि निर्दलीय भी चुनाव लड़तीं तो आसानी से सीट निकाल सकती थीं।

रामपुर से 34753 वोटों से मौलाना अबुल कलाम आजाद ने जीता था पहला लोकसभा चुनाव
वर्ष 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मौलाना अबुल कलाम आजाद ने हिन्द मजदूर महासंघ के बिशन चंद्र सेठ को 34753 वोटों से हराया था। मौलाना अबुल कलाम को 108180 वोट मिले थे जबकि, बिशन चंद सेठ को 73427 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। ग्राम प्रधान संगठन के महासचिव काशिफ खां बताते हैं कि रामपुर से पहली बार नवाब रजा अली खां के प्रत्याशी मौलाना अबुल कलाम आजाद सांसद बने थे। 

इसके बाद नवाब रजा अली खां  के दामाद राजा पीरपुर सैयद अहमद मेहंदी 1957 और 1962 में चुनाव जीते। 1967, 1971, 1980, 1984 और 1989 में नवाब रजा अली खां के बेटे नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां सांसद निर्वाचित हुए। वर्ष 1977 में यह सीट भारतीय लोकदल के राजेंद्र शर्मा जीते। इसके बाद सीट कांग्रेस के मिक्की मियां के पाले में चली गई। वर्ष 1991 में पहली बार भाजपा के राजेंद्र कुमार शर्मा ने जीत दर्ज की।  

मिक्की मियां के इंतकाल के बाद  1996 में उनकी पत्नी बेगम नूरबानो ने जीत हासिल की। वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में मुख्तार अब्बास नकवी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे।  वर्ष 2004 का चुनाव रामपुर वालों के लिए काफी यादगार रहा। फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के चुनाव में फिरोज खां, अनिल कपूर, संजय दत्त, जया बच्चन, डिंपल कपाड़िया, जानी लीवर, असरानी, हेमा मालिनी ने जयाप्रदा के लिए वोट मांगे थे। हालांकि, बेगम नूरबानो के चुनाव में दिलीप कुमार, जॉनी लीवर, सुनील दत्त ने जनसभाओं में बेगम नूरबानों के लिए वोट मांगे थे।

 24- योगी आदित्यनाथ
25- अखिलेश यादव
26 आजम खां
27 बेगम नूरबानो
28 बहन मायावती
29 अबुल कलाम आजाद

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