निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर हो सकती है दो साल तक की कैद 

निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर हो सकती है दो साल तक की कैद 

भोपाल। लोकसभा निर्वाचन के लिये मीडिया कव्हरेज के परिप्रेक्ष्य में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर दोषी व्यक्ति को दो साल तक की कैद और जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। भारत निर्वाचन आयोग ने अपने दिशा निर्देशों में कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धाराओं के तहत टेलीविजन, सिनेमैटोग्राफ या अन्य संचार माध्यमों से किसी भी चुनावी मामले का प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध रहेगा। 

यह प्रतिबंध किसी भी मतदान क्षेत्र में मतदान समाप्ति के 48 घंटे पहले तक की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा। कोई भी व्यक्ति सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या अन्य समान उपकरण के माध्यम से किसी भी चुनावी मामले को जनता के समक्ष प्रदर्शित नहीं करेगा। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दोषी व्यक्ति को चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने या ऐसे इरादे या गणना करने जैसा प्रयास मान कर दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। 

इस संबंध में आयोग ने स्पष्ट किया है कि टेलीविजन, रेडियो चैनलों और केबल नेटवर्क को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धारा 126 में उल्लेखित 48 घंटों की अवधि के दौरान उनके द्वारा प्रसारित, प्रदर्शित कार्यक्रमों के कंटेन्ट में दृश्य सहित ऐसी कोई भी सामग्री शामिल नहीं है। पैनलिस्टों एवं प्रतिभागियों द्वारा अपील करने पर उन्हें किसी पार्टी विशेष या उम्मीदवार की संभावना को बढ़ावा देने या चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के रूप में माना जा सकता है। इसमें जनमत सर्वेक्षण और मानक बहस, विश्लेषण, दृश्य और ध्वनि-बाइट्स का प्रदर्शन शामिल होगा। इसमें टीवी, केबल नेटवर्क, रेडियो, सिनेमा हॉल में किसी भी चुनावी मामले पर राजनीतिक विज्ञापन, किसी भी मतदान में थोक एसएमएस, वॉयस संदेशों, ऑडियो विजुअल डिस्प्ले का उपयोग भी शामिल है। 

आयोग द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार या कोई अन्य संगठन या व्यक्ति मतदान के दिन और मतदान के दिन से एक दिन पहले प्रिंट मीडिया में कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा, बशर्ते कि राजनीतिक विज्ञापनों की सामग्री पूर्व-प्रमाणित हो। उनके द्वारा राज्य, जिला स्तर पर एमसीएमसी समिति से अनुमोदन लेना होगा। आवेदकों को ऐसे विज्ञापनों के प्रकाशन की प्रस्तावित तिथि से दो दिन पहले राज्य, जिला स्तरीय एमसीएमसी कमेटी को आवेदन करना होगा। 

आयोग द्वारा यह भी कहा गया है कि पाठकों को गुमराह करने के लिए समाचार सुर्खियों के रूप में राजनीतिक विज्ञापन विशेष रूप से समाचार पत्रों में प्रकाशित नहीं किए जाएंगे। किसी पार्टी विशेष की जीत की भविष्यवाणी करने वाले विज्ञापनों पर स्पष्ट प्रतिबंध रहेगा और चुनाव परिणामों से संबंधित किसी भी प्रकार की अटकलों से संबंधित मैटर से भी बचना चाहिए। प्रेस काउंसिल के पत्रकारों का आचरण के मानदंडों के पर भी विशेष ध्यान आकर्षित किया गया है। इसमें यह कहा गया है कि समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञापनों सहित अन्य सभी मामलों के लिए संपादक जिम्मेदार होगा। 

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