पीलीभीत: तराई की 2428 महिलाएं बन चुकी हैं लखपति दीदी, लक्ष्य बढ़ने से खुशी का माहौल

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Published By Moazzam Beg
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पीलीभीत, अमृत विचार। मोदी सरकार द्वारा पेश किए अंतरिम बजट में ग्रामीण अंचलों में रहने वाली आधी आबादी के उत्थान को लेकर बड़ी पहल की गई है। बजट में लखपति दीदी योजना का लक्ष्य बढ़ाने की बात कही गई है। इससे स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं में खासी खुशी देखी जा रही है। वर्तमान में जनपद की 65000 महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं।

ग्रामीण अंचलों में निवास करने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा तमाम योजनाएं संचालित की जा रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जनपद में वर्तमान में 6500 स्वयं सहायता समूह संचालित किए जा रहे हैं। इन समूहों से करीब 65 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

इधर केंद्र सरकार द्वारा गत वर्ष ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के आर्थिक स्तर को सुधारने के लिए लखपति दीदी योजना की शुरूआत की गई। योजना का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों की ऐसी महिलाएं, जिनकी सालाना आमदनी एक लाख रुपये से कम है, उन्हें आजीविका मिशन के विभिन्न उपक्रमों के जरिए अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है। शासन द्वारा जनपद को 13491 महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य दिया गया है। एनआरएम के परियोजना अधिकारी के मुताबिक लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 2428 महिलाएं लखपति दीदी बन भी चुकी है। 

इधर अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट में लखपति दीदी योजना का लक्ष्य दो करोड़ से बढ़ाकर तीन करोड़ किए जाने की बात कही गई है। जाहिर सी बात है कि योजना का लक्ष्य बढ़ाने से जनपद के ग्रामीण अंचलों में रहने वाली महिलाओं को खासा लाभ होगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के परियोजना अधिकारी जेसी जोशी ने बताया कि लखपति दीदी योजना के तहत जनपद को 13491 का लक्ष्य दिया गया है। अब तक जनपद की 2428 महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जा चुका है जो विभिन्न व्यवसायों के माध्यम से आत्मनिर्भर बन चुकी है।

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