Special Story : मुरादाबाद के सिंदूर से सऊदी अरब की महिलाएं भर रही मांग, प्राकृतिक गुलाल भी किया जा रहा तैयार...किसान करें खेती तो कमाए लाखों
अब्दुल वाजिद, अमृत विचार। हिंदू धर्म की मान्यता है की सुहागन जितना लंबा सिंदूर अपनी मांग में भरती हैं, पति की उम्र उतनी ही लंबी होती है। सिंदूर को प्रेम और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। ज़्यादातर लोग यही जानते हैं की सिंदूर चूना, हल्दी और मरकरी को मिलाकर तैयार किया जाता है। लेकिन, बहुत ही काम लोग ये जानते होंगे की सिंदूर का एक पौधा भी होता है। जिसका फल तोड़ने पर जब उसे खोलते हैं तो अंदर से बीज निकलते हैं, जिसे रगड़ने पर हुबहू सिंदूर के रंग जैसा निकलता है।
मुरादाबाद में पाकबड़ा इलाके के मनोहरपुर स्थित डॉ. डॉ. दीपक मेंदीरत्ता जो जुबिलेंट एग्रीकल्चर रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष हैं। उन्होंने एक ऐसे पौधे की खेती की है, जिससे कुदरती तौर पर सिंदूर की पैदावार की जा रही है। यह पौधा एक बार लगाने के बाद तीन साल में इसमें फल लगने लगते हैं और उससे प्राकृतिक सिंदूर प्राप्त किया जाता है। इसके अतिरिक्त होली पर सुरक्षित गुलाल भी इस पौधे से प्राप्त किया जाता है। इस तकनीक से किसानों को भी फायदा हो रहा है और भारत में विभिन्न धार्मिक स्थलों पर इसकी डिमांड खासी तौर पर बढ़ रही है।
भारत ही नहीं बल्कि भारत से बाहर अरब मुल्कों में भी निवास कर रही भारतवंशीय महिलाओं में इस सिंदूर की बहुत मांग बढ़ती जा रही है। वहीं डॉ. महंदी रत्ता सिंदूर की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही किसानों को भी इसकी खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इतना ही नहीं उनके पास ट्रेनिंग के लिए आने वाले बीएससी कर रहे छात्रों को भी सिंदूर की खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं।
पूरी तरह प्राकृतिक है ये सिंदूर
डॉ. महंदी रत्ता बताते हैं यह सिंदूर पूरी तरह से प्राकृतिक है। जिसके लगाने से कोई नुकसान नहीं हैं। जबकि बाजार में बिकने वाला सिंदूर अमूमन महिलाओं की त्वचा के लिए नुकसानदेह साबित होता है। इसके साथ ही कुछ महिलाएं इसे लिपस्टिक की तरह अपने होंठों भी इस्तेमाल करती हैं।
सऊदी अरब से भारतीय मूल की महिलाओं में बढ़ रही डिमांड
डॉ. महंदी बताते हैं, जो भी प्रकृति प्रेमी है वो इसे खरीदते हैं और काफी तादाद में इसकी डिमांड बढ़ रही है। हम किसानों को बताते हैं की इसकी खेती करें और अच्छा मुनाफा कमाएं। धीरे-धीरे आम लोगों में इसका महत्व बढ़ रहा है और बाजार में भी इसकी डिमांड बढ़ रही है। उन्होंने बताया की देश ही नहीं बल्कि सऊदी अरब में भारतीय मूल की महिलाएं भी इसको खरीद कर ले जा रही हैं। इतना ही नहीं जब भी सऊदी से उनके परिचित यहां आते हैं तो वो प्राकृतिक सिंदूर जरूर अपने साथ सऊदी अरब ले जाते हैं।
सिंदूर के पौधे से बना रहे गुलाल
डॉ. महंदी बताते हैं की अकसर होली के समय गुलाल की बिक्री बहुत बढ़ जाती है। सिंदूर वाले पौधे से हम गुलाल भी बना देते हैं। उन्होंने बताया की सिंदूर के पौधे से निकलने वाले बीज को मिलाकर गुलाल तैयार किया जा रहा है। डॉ. महंदी के मुताबिक वो किसानों को सिंदूर की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका मानना है की अगर किसान सिंदूर की खेती करें तो बहुत अच्छा मुनाफा तो वो कमा ही सकते हैं साथ ही महिलाओं को प्राकृतिक उत्पाद प्राप्त हो जाएगा।
अयोध्या में भी पहुंचा प्राकृति सिंदूर
वहीम धार्मिक स्थलों में भी इसकी डिमांड बढ़ रही है। अयोध्या में गुलाल बनाकर इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने बताया की काफी बढ़ी तादाद में अयोध्या में लोग इसको ले गए हैं। साथ ही आंध्रा प्रदेश मध्यप्रदेश सहित यूपी के कई जिलों में इसे खरीद भी रहे हैं और पौधों की डिमांड भी आ रही है।
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