हल्द्वानी: जिले में चार साल बाद डेंगू के सर्वाधिक मामले

हल्द्वानी: जिले में चार साल बाद डेंगू के सर्वाधिक मामले

 हल्द्वानी, अमृत विचार। नैनीताल जिले में चार साल बाद डेंगू का डंक गहरा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक बीते वर्ष 2023 में 7898 मरीजों के सैंपल टेस्ट हुए, जिसमें से 1783 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इनमें 1448 मरीज जिले के हैं, जबकि 335 अन्य जनपदों के हैं।

बता दें कि वर्ष 2018 में जिले में डेंगू के करीब 3600 मामले सामने आए थे। इसके बाद डेंगू का प्रभाव कम हुआ तो मरीजों की संख्या भी घट गई। वर्ष 2019 में 246, 2020 में 4, 2021 में 30 और 2022 में 236 डेंगू के मरीज मिले थे। चार साल बाद वर्ष 2023 में जिले में डेंगू के सर्वाधिक मामले सामने मिले हैं। पिछले वर्ष 2023 से करीब 7,898 मरीजों के एलाइजा सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 1783 की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इनमें 1448 मरीज जिले के हैं, जबकि 335 अन्य जनपदों के हैं।

विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो डेंगू मच्छर के काटने से सबसे ज्यादा मलिन बस्ती के लोग बीमार हुए हैं। इसके अलावा कई अन्य कॉलोनियों के लोग भी डेंगू के शिकार हुए हैं। घरों के आसपास साफ-सफाई न होने और पानी जमा होने से डेंगू मच्छर ने अपना प्रभाव बदल लिया है। यही कारण है कि सर्दी के मौसम में भी डेंगू मच्छर सक्रिय है। नए वर्ष 2024 में अब तक डेंगू के 4 मामले सामने आ चुके हैं। ये सभी मरीज हल्द्वानी शहर व आसपास के क्षेत्रों के हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। लोगों को सजग रहने के निर्देश दिए गए हैं।

हेपेटाइटिस ए और लेप्टोस्पायरोसिस के मामले बढ़े
जिले में डेंगू के बाद हेपेटाइटिस ए और लेप्टोस्पायरोसिस यानि रैट फीवर के मामले भी बढ़े हैं। बीते वर्ष 2023 में हेपेटाइटिस ए के करीब 495 सैंपल लिये गये थे। जिसमें से 109 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इनमें 87 मरीज जनपद नैनीताल तथा 22 अन्य जनपदों के हैं। वहीं हेपेटाइटिस ई के 495 मरीजों के सैंपल लिये गये, जिसमें से 26 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इनमें 14 जनपद नैनीताल तथा 12 अन्य जनपदों के हैं। इसके अलावा लेप्टोस्पायरोसिस के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं। करीब 553 मरीजों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए, जिनमें 97 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जिसमें 37 मरीज जनपद नैनीताल तथा 60 अन्य जनपदों के हैं।

चारअधिकारियों व दो कर्मियों के हवाले जिले की जिम्मेदारी
जिले में स्वास्थ्य विभाग चिकित्सकों के साथ-साथ विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। जनपद के ब्लॉकों में डेंगू की रोकथाम के लिए विभाग के पास पूरी टीम तक नहीं है। सिर्फ चार अधिकारियों और दो कर्मचारियों के कंधों पर पूरे जिले की जिम्मेदारी थोपी गई है। विभाग के पास एक मलेरिया अधिकारी हैं, जिनमें पास नगर स्वास्थ्य अधिकारी और जिला सर्विलेंस अधिकारी का भी चार्ज है।

वहीं एक कंसलटेंट, एक मलेरिया इंस्पेक्टर और एक जिला संक्रामक रोग विश्लेषक अधिकारी हैं। इसके अलावा फॉगिंग टीम में दो कर्मचारी हैं। नए वर्ष में डेंगू के मामले सामने आने के बाद रोकथाम अभियान ठप है। बताया जाता है कि फील्ड अधिकारियों व कर्मचारियों की नैनीताल कार्यालय में ड्यूटी लगाई गई है, जिस कारण अभियान बंद है।


बीते वर्ष में डेंगू के मामले काफी बढ़े हैं। वातावरण के साथ डेंगू ने अपना प्रभाव बदल लिया है। इसलिए सर्दी के मौसम में भी डेंगू सक्रिय है। लोगों से अपील है कि घरों के आसपास साफ-सफाई रखें, कहीं भी पानी जमा न होने दें और लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से सलाह लें।
- डॉ. श्वेता भंडारी, प्रभारी सीएमओ नैनीताल

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