अमेरिका की चिंता

भारत, चीन, रूस, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कई अन्य देशों ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी के चुनावों में विजयी होने पर बधाई दी। जबकि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने चुनाव के दिन हिंसा और अनियमितताओं की रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की।
साथ ही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता खालिदा जिया ने अवामी लीग पर नकली विपक्षी उम्मीदवारों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है और कहा कि चुनाव से पहले 20 हजार से अधिक बीएनपी सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया। शेख हसीना ने कहा कि मतदान के माध्यम से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का अभूतपूर्व उदाहरण बांग्लादेश ने स्थापित किया है।
शेख हसीना फिर सत्ता में आ चुकी हैं। हसीना ने पिछले डेढ़ दशक में बांग्लादेश की आर्थिक सफलता के लिए काम किया, जो बुनियादी ढांचे, गरीबी उन्मूलन और ऊर्जा परियोजनाओं से प्रेरित है। उन्होंने उग्रवाद से भी सख्ती से निपटा है और अक्सर उन पर ज्यादती के आरोप लगते रहे।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले टका में 40 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई तो बांग्लादेश ने विश्व बैंक, आईएमएफ और एशियाई विकास बैंक के साथ ऋण पर बातचीत की है। हसीना ने बांग्लादेश के शक्तिशाली पड़ोसियों भारत और चीन के साथ संबंधों को कुशलतापूर्वक संतुलित किया है।
साथ ही भारत विरोधी तत्वों पर हसीना की कार्रवाई ने पूर्व में भारत की सुरक्षा चिंताओं को कम कर दिया है। म्यांमार में स्थिति बिगड़ने के साथ 4,100 किमी लंबी सीमा साझा करने वाले दोनों देशों के बीच साझेदारी दक्षिण एशिया में शांति के लिए महत्वपूर्ण है। शेख हसीना और उनकी पार्टी के लिए चुनाव में स्थिति एकदम अनुकूल थी और उनके सामने चुनौती न के बराबर थी। 300 सीटों वाली जातीय संसद के लिए 298 चुनावी क्षेत्रों में मतदान हुए जिसमें सत्तारूढ़ अवामी लीग को 223 सीटें आई हैं।
अब देखना दिलचस्प रहेगा कि बनने वाली सरकार और शासन तंत्र में लोकतंत्र कितना सुरक्षित रह पाएगा। हसीना शासन को यह भी महसूस करना चाहिए कि सार्थक लोकतंत्र के बिना, राजनीतिक स्थिरता अनिश्चित बनी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी और अपने पड़ोसी के साथ ‘स्थायी और जनता-केंद्रित साझेदारी’ को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
यकीनन बांग्लादेश, भारत का सबसे विश्वसनीय पड़ोसी देश है और बांग्लादेश को भारत का साथ हमेशा मिलता रहा है। मगर इसका भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा वहां की सरकार देश में लोकतंत्र सुनिश्चित करने को लेकर कितनी गंभीर है।