यह कैसा कायाकल्प: स्कूलों में नहीं फर्नीचर, दरी पर बैठकर पढ़ रहे छात्र
बरेली, अमृत विचार। परिषदीय स्कूलों के कायाकल्प पर मोटी रकम खर्च की जा रही है, मगर तमाम विद्यालयों में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं हैं। बच्चे दरी पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। बरसात के दिनों में कीड़े -मकौड़ों का खतरा बना रहता है। नगर के 104 में से करीब दो दर्जन से अधिक ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चे फर्श पर टाट पट्टी पर बैठ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों का भी यही हाल है।
कायाकल्प की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग को संयुक्त रूप से दी गई है। ग्राम पंचायतों को फर्नीचर का भुगतान स्टेट फाइनेंस कमीशन के बजट से करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद स्कूलों में बच्चों के लिए पर्याप्त फर्नीचर मुहैया नहीं हो पाया है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार सांसद और विधायक निधि के माध्यम से स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था कराई जा रही है। इस संबंध में वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. अरुण कुमार ने नगर के स्कूलों की सूची मांगी था, जिनमें फर्नीचर नहीं हैं । विभाग की ओर से सूची उपलब्ध करा दी गई है। बताया जा रहा है कि नगर की इन स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था कराई जाएगी।
इन स्कूलों में नहीं फर्नीचर
हरूनगला प्रथम व द्वितीय, जगतपुर, सिथोरा, सुभाष नगर, परसाखेड़ा, बेनीपुर प्राथमिक स्कूल और चौधरी मोहल्ला स्थित कंपोजिट विद्यालय में फर्नीचर नहीं है। वहीं, सैदपुर हाकिंस, खलीलपुर, जोगी नवादा प्राथमिक स्कूल में छात्र संख्या की तुलना में फर्नीचर काफी कम है।
कई स्कूलों में जहां पर्याप्त कक्ष नहीं हैं, उन स्कूलों में कक्षों की व्यवस्था कराई जा रही है, ताकि शत प्रतिशत बच्चों के लिए फर्नीचर उपलब्ध कराया जा सके। नगर के जिन स्कूलों में फर्नीचर कम हैं, उन स्कूलों की सूची भी तैयार कर ली गई है। तौसीफ अहमद, बीईओ
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