बरेली : बच्चों का भविष्य संवारने के साथ जिम्मेदारी भी उठा रहे गुरु, जिले में कई स्कूलों की शिक्षिकाएं बच्चों का उठा रहीं खर्च
बेटियों की शादी में मदद करने के साथ आत्मनिर्भर भी बना रहीं
बरेली, अमृत विचार : गुरु शिष्य परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। इसमें अब तक कई बदलाव आए हैं। व्यवसायीकरण से शिक्षा के मूल्यों में गिरावट आई, बावजूद आज भी कई ऐसे गुरु हैं, जो शिष्यों का निस्वार्थ भाव से भविष्य संवारने में जुटे हैं।
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बाल विवाह रुकवाकर बालिका को पढ़ाने का लिया संकल्प: आलमपुर जाफराबाद ब्लाक के पथरा उच्च प्राथमिक स्कूल में तैनात प्रधानाध्यापिका सारिका सक्सेना ने बताया कि राजकीय इंटर कॉलेज में कक्षा आठ में पढ़ने वाली एक छात्रा के माता-पिता उसकी शादी करना चाहते थे। इसकी जानकारी होने पर वह उसके घर पहुंचीं। उन्होंने बच्ची के परिजनों को जागरूक किया। बाल विवाह रुकवा दिया। उन्होंने बच्ची को आगे तक पढ़ाने का संकल्प लिया। वह उसके भविष्य को संवारने में जुटी हैं।
बालिकाओं को आत्मनिर्भर बना रहीं शबीना: छोटी उम्र में ही शिक्षा से विमुख हो रहीं बालिकाओं को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कांधरपुर उच्च प्राथमिक स्कूल की प्रधानाध्यापिका निरंतर अभियान चला रही हैं।
अब तक करीब 150 से अधिक परिवार और बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ चुकी हैं। इनमें से कई बालिकाओं को कंप्यूटर, सिलाई- कढ़ाई , ब्यूटी पार्लर आदि का अपने खर्च पर कोर्स करा कर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं। निर्धन परिवार की बेटियों की शादी में आर्थिक मदद भी कर रही हैं।
अभिभावकों को काउंसलिंग कर बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहीं: भदपुरा ब्लाक के जासपुर प्राथमिक स्कूल की प्रधानाध्यापिका डाॅ. अल्पना गुप्ता अभिभावकों की काउंसलिंग कर बेटियों को आगे पढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कराने के बाद कई अभिभावक बेटियों की पढ़ाई बंद करा देते हैं।
वह ऐसे अभिभावकों के घर जाकर उनसे बातचीत कर बेटियों को पढ़ाने के लिए जागरूक करती हैं। कक्षा 8 तक की शिक्षा के लिए खुद जाकर दाखिले कराए। दर्जन भर ऐसी बालिकाएं हैं, जिन्हें वह ड्रेस, किताब सहित उनके स्कूल की फीस देकर आगे की पढ़ाई करा रही हैं।
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