इरादतन चूककर्ताओं से जुड़े दिशानिर्देश को रद्द करे RBI, नीरव मोदी, मेहुल और माल्या आदि की धोखाधड़ी माफ, सरकार खोल रही चोर दरवाजा: कांग्रेस 

इरादतन चूककर्ताओं से जुड़े दिशानिर्देश को रद्द करे RBI, नीरव मोदी, मेहुल और माल्या आदि की धोखाधड़ी माफ, सरकार खोल रही चोर दरवाजा: कांग्रेस 

नई दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को उस दिशानिर्देश को रद्द करना चाहिए जिसके तहत उसने दबाव वाली संपत्तियों से अधिकतम वसूली के लिए बैंकों को धोखाधड़ी वाले खातों और इरादतन या जानबूझकर चूक के मामलों का निपटारा समझौते के जरिये करने की मंजूरी दी है।

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पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह सवाल भी किया कि क्या केंद्र सरकार के दबाव में रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है? उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों एक अधिसूचना में धोखाधड़ी वाले खातों और कर्ज अदायगी में इरादतन चूक के मामलों में समझौता करने की मंजूरी देते हुए कहा था कि इसके लिए निदेशक-मंडल के स्तर पर नीतियां बनानी होंगी।

रमेश ने बयान में कहा, ‘‘रिजर्व बैंक ‘‘समझौते से निपटारा और तकनीकी रूप से बट्टे खाते में डालने की रूपरेखा’ के तहत निर्देश जारी किए हैं। इसमें लिखा गया है कि बैंक या अन्य वित्तीय इकाइयां इरादतन चूककर्ताओं या धोखाधड़ी के रूप में श्रेणीबद्ध खातों के संबंध में ऐसे देनदारों के ख़िलाफ़ जारी आपराधिक कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर समझौता समाधान या तकनीकी रूप से उसे बट्टे खाते में डाल सकती हैं।

अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ और अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने इस नीति का विरोध किया है।’’ उनका कहना है, ‘‘आरबीआई अपने इस कदम के ख़तरों को अच्छी तरह जानता है। दो साल पहले, उसने स्पष्ट रूप से कहा था कि जानबूझकर कर्ज़ न चुकाने वालों की न तो पूंजी बाज़ार तक पहुंच होगी और न ही उन्हें नए कर्ज दिए जाएंगे।’’

रमेश ने सवाल किया, ‘‘हाल ही में 29 मई, 2023 को, रिजर्व बैंक के गवर्नर (शक्तिकांत दास) ने उन तरीकों के लेकर चेतावनी दी थी जिनके माध्यम से चूककर्ता और जालसाज संकटग्रस्त ऋणों की वास्तविक स्थिति को छिपाते हैं। क्या मोदी सरकार ने इस यू-टर्न के लिए दबाव डाला? क्या इसपर रिजर्व बैंक स्पष्टीकरण देगा? ’’

कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विनीत पुनिया ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘रिजर्व बैंक ने अपनी नीति में अचानक बदलाव करते हुए नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या जैसे इरादन चूककर्ताओं की धोखाधड़ी को माफ करने के लिए एक चोर दरवाजा खोलने का काम किया है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 365 प्रतिशत बढ़ी हैं।

10 लाख करोड़ से ज्यादा की राशि बट्टे खाते में डाली गई, जिसमें से सिर्फ 13 प्रतिशत कर्ज वसूला गया है। मोदी सरकार की नीतियां ऐसी हैं जिसमें इरादतन चूककर्ताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार आम जनता के पैसों को अपने चुनिंदा मित्रों पर न्योछावर कर रही है।’’ कांग्रेस नेता अमिताभ दुबे ने दावा किया कि रिजर्व बैंक के इस कदम का नुकसान न सिर्फ बैंकों, बल्कि करदाताओं और मध्यमवर्गीय परिवारों को भी उठाना पड़ेगा।’’

उनका कहना था, ‘‘हिन्दुस्तान के शीर्ष 50 इरादतन चूककर्ताओं का कुल ऋण 95 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है, जिनके लिए सरकार लगातार काम कर रही है। दो साल पहले रिजर्व बैंक की नीति में यह स्पष्ट था कि इरादतन चूककर्ताओं को शेयर बाजार में जाने और नया कर्ज लेने की अनुमति नहीं होगी।

अब सरकार ने यह नीति बदलकर उन्हें खुली छूट दे दी है।’’ जयराम रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘किसान, छोटे और मझोले उद्यम, मध्य वर्ग मासिक किस्त के बोझ तले दबे हैं। उन्हें कभी भी क़र्ज़ पर बातचीत करने या इसके बोझ को कम करने का अवसर नहीं दिया जाता है, लेकिन सरकार ने अब नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे जालसाजों एवं इरादतन चूककर्ताओं को फिर से उनकी पहले की स्थिति में वापस आने के लिए रास्ता दे दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई को तुरंत अपने निर्देशों को रद्द करना चाहिए और बैंकों को जानबूझकर क़र्ज़ न चुकाने वालों और धोखेबाजों के साथ समझौता करने से रोकना चाहिए। आरबीआई को यह बताना चाहिए कि क्या इन निर्देशों को जारी करने के लिए मोदी सरकार का कोई दबाव था।

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