अर्थव्यवस्था की चुनौतियां

वैश्विक अर्थव्यवस्था विशिष्ट चुनौतियों का सामना कर रही है। सोमवार को वाराणसी में जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुटता के साथ वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है।
वास्तव में विकास मंत्रियों की बैठक ऐसे समय हो रही है जब विकास से संबंधित चुनौतियां चरम पर हैं। इनमें आर्थिक मंदी, ऋण संकट, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान, बढ़ती गरीबी और असमानता, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा, जीवन यापन का लागत संकट, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान, भू-राजनीतिक संघर्ष और बढ़ता तनाव शामिल हैं। इस कारण वैश्विक आर्थिक सुधार की संभावना धीमी बनी हुई है।
कई देशों में गरीब तबका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था लगभग छह चुनौतियों का सामना कर रही है। कोविड-19 से संबंधित चुनौतियों के कारण रुकावट आई, रूस-यूक्रेन संघर्ष और इसके प्रतिकूल प्रभाव के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला, मुख्य रूप से खाद्य, ईंधन तथा उर्वरक की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हुई और महंगाई को रोकने के लिए फेडरल रिजर्व की दरों में वृद्धि के कारण विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के सामने समस्याएं उत्पन्न हुईं।
परिणामस्वरूप अमेरिकी डॉलर में उछाल आया और सकल आयात अर्थव्यवस्थाओं में चालू खाता घाटा बढ़ा। वैश्विक गतिरोध की संभावनाओं का सामना करते हुए, राष्ट्रों ने अपनी आर्थिक स्थिति की रक्षा करने के लिए मजबूरी महसूस की, सीमापार व्यापार धीमा कर दिया जिसने विकास के लिए चौथी चुनौती पेश की। शुरुआत से पांचवीं चुनौती बढ़ रही थी, क्योंकि चीन ने अपनी नीतियों से प्रेरित काफी मंदी का अनुभव किया। विकास के लिए छठी मध्यम अवधि की चुनौती महामारी के डर से शिक्षा और आय अर्जन के अवसरों के नुकसान के रूप में देखी गई।
दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह, भारत ने भी इन असाधारण चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में इसने उनका बेहतर तरीके से सामना किया। अब तक भारत ने अपने आर्थिक लचीलेपन से देश के विश्वास को मजबूत किया है। अर्थव्यवस्था ने इस प्रक्रिया में विकास की गति को खोए बिना रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण हुए बाहरी असंतुलन को कम करने की चुनौती का सामना किया है। उम्मीद है मंगलवार को समाप्त हो रही जी-20 विकास मंत्रिस्तरीय बैठक सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धियों में तेजी लाने और विकास, पर्यावरण और जलवायु एजेंडा के बीच तालमेल को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक रूप से सहमत होने का अवसर प्रदान करेगी।
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